Korba Latest News: राताखार बस्ती टूटने की ख़बर निकली भ्रामक.. हाईकोर्ट ने याचिका को किया है डिस्पोज

Korba Ratakhar Basti Latest News क्या कोरबा के इस रहवासी इलाके पर चलने वाला है बुलडोजर? जाने राताखार बस्ती को तोड़े जाने के दावे में है कितनी सच्चाई

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  • Publish Date - September 28, 2023 / 08:05 PM IST,
    Updated On - September 28, 2023 / 08:11 PM IST

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कोरबा: शहर में राताखार बस्ती को हटाने की ख़बर के बीच एक राहत भरी बात सामने आई है। यहां जमीन के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को भ्रामक तरीके से फैलाया जा रहा है। (Korba Ratakhar Basti Latest News) छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर के द्वारा डब्ल्यूपीपीआईएल संख्या 12, 2020 एनएएफआर याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा पुत्र स्व.रामेश्वर शर्मा उम्र लगभग 40 वर्ष निवासी राताखार बजरंग चौक, कोरबा, तहसील और जिला-कोरबा द्वारा प्रस्तुत याचिका पूर्ण रूप से निराकृत की गई है।

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जनहित याचिका में खसरा नंबर 74/1 पर कब्जे की बात कही गई है जबकि इस खसरे में करीब 200 एकड़ भूमि है जहां 3500 परिवार राताखार नामक बस्ती में सालो से अपना मकान बनाकर निवासरत है। हाईकोर्ट के अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने बताया कि कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कोरबा कलेक्टर को पूरे मामले को छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत निर्णय लेने कहा है। आदेश प्राप्ति के 3 माह के भीतर पूर्व से लंबित धारा 248 के मामले का निराकरण करना है। आदेश में किसी के पक्ष या खिलाफ कोई फैसला नहीं दिया गया है। हालाकि राजस्व न्यायालय में पहले ही यह मामला खारिज किया गया था वहीं वर्तमान में हमको उम्मीद है कि हजारों परिवारों के मामले में राजस्व न्यायालय इस मामले में व्यापक जनहित देखते निर्णय लेगा। इसी बस्ती में याचिकाकर्ता गोपाल शर्मा का भी घर है जो अतिक्रमण कर बनाया गया है। बता दे कि गोपाल शर्मा ने पहन.9, राजस्व निरिक्षक मंडल कोरबा स्थित खसरा संख्या 74/1 माप क्षेत्र 79.029 हेक्टेयर वाली सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।

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विद्वान न्यायाधीश की डबल बेंच ने गोपाल शर्मा की याचिका को पूर्णतः निराकृत करते हुए कोरबा कलेक्टर को 3 माह के भीतर उचित निर्णय लेने का आदेश जारी किया है। किंतु दूसरी ओर गोपाल शर्मा के द्वारा उच्च न्यायालय के इस आदेश को अपने निजी स्वार्थ और व्यक्तिगत दुर्भावना के लिए तथ्यों को तोड़- मरोड़ कर पेश किया जा रहा है कि उच्च न्यायालय के द्वारा 3 माह के भीतर कब्जा हटाने और मकान को खाली करने का आदेश दिया गया है जबकि जारी आदेश में इस तरह का कहीं भी कोई भी जिक्र नहीं है।

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