रायपुरः छत्तीसगढ़ के 15 नगरीय निकायों में चुनाव की तारीख घोषित होते ही कांग्रेस और भाजपा में बैठकों का दौर शुरू हो गया है। दोनों पार्टी चुनाव जीतने के लिए रणनीति भी तैयार कर रही हैं। इसी कड़ी में राजीव भवन में कांग्रेस की अहम बैठक हुई। जिसमें 350 वार्डों में जीत का लक्ष्य रखा गया है तो दूसरी ओर भाजपा ने भी वर्चुअल बैठक के जरिए चुनावी रणनीति पर चर्चा की। आखिर दोनों पार्टी इन निकायों में जनता के बीच किन मुद्दों को लेकर जाएगी? और किसे मिलेगा जनता का आशीर्वाद।
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छत्तीसगढ़ के 15 निकायों में चुनाव तारीखों की घोषणा के अगले ही दिन ही कांग्रेस जीत का फॉर्मूला तलाशने में जुट गई। इस कड़ी में गुरूवार को कांग्रेस ने चुनाव की रणनीति बनाने बैठक बुलाई। जिसमें पीसीसी प्रभारी पीएल पुनिया, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, संबंधित जिलों के प्रभारी मंत्री, संगठन प्रभारी और पर्यवेक्षक समेत जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक में इस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई कि.. वार्डों में प्रत्यासी का चयन कैसे हो। इसके लिए पीएल पुनिया ने वार्ड स्तर पर समिति बनाने का निर्देश दिया.. जो वार्डों में जनता की राय लेगी। जिसका जनाधार ज्यादा होगा। उसे ही टिकट मिलेगा। इसके अलावा कांग्रेस राज्य सरकार की उन उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाएगी। जिसके लिए केंद्र से उसे सम्मान मिला है। बैठक में कांग्रेस ने कुल 384 वार्डों में से 350 में जीत का टारगेट तय किया है।
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आगामी 20 दिसंबर को प्रदेश के 4 नगर निगम, 5 नगर पालिका और 6 नगर पंचायत समेत 13 नगरीय निकायों में उपचुनाव की कुल 384 वार्डों पर वोटिंग होगी। जिसकी तैयारी में दोनों दल जुट गए हैं। वैसे आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्तमान में जिन चार नगर निगम भिलाई ,रिसाली, चरोदा और बीरगांव में चुनाव होने हैं। उनमें अभी केवल भिलाई में कांग्रेस का महापौर है। वहीं रिसाली में पहली बार चुनाव हो रहे है..जबकि चरोदा और बीरगांव में बीजेपी का कब्जा है। इसी तरह पांच नगर पालिका और छह नगर पंचायत में भी कांग्रेस और बीजेपी में कड़ा मुकाबला है। हालांकि इन निकायों में पिछली बार महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से हुआ था। लेकिन कांग्रेस की सरकार आने के बाद अब महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष यानी पार्षद चुनने लगे हैं..यही वजह है कि दोनों दल टिकट बांटने में बेहद सावधानी बरत रहे हैं।
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दरअसल पिछली बार 10 निगमों के चुनाव में ये देखने को मिला कि कई निर्वाचित पार्षद महापौर चुनाव के समय अपना पाला बदलते रहे। यही वजह है कि कांग्रेस की तरह बीजेपी भी संभल-संभल कर चाल चल रही है। वैसे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार आने के बाद दिसंबर 2019 में रायपुर समेत कई नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत की 28 सौ से ज्यादा वार्डों के लिए चुनाव हुए। इन निकायों में कांग्रेस एकतरफा जीत दर्ज की थी। इस बार भी महापौर और अध्यक्ष का चुनाव पार्षदों को ही करना है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस दोनों का फोकस सही प्रत्याशी को मैदान में उतारना है।
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