CG Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को अब तक के सबसे बड़ा झटका, एक साथ 170 से ज्यादा नक्सली छोड़ेंगे हिंसा का रास्ता, सीएम और गृह मंत्री के सामने करेंगे सरेंडर
CG Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को अब तक के सबसे बड़ा झटका, एक साथ 170 से ज्यादा नक्सली छोड़ेंगे हिंसा का रास्ता, सीएम और गृह मंत्री के सामने करेंगे सरेंडर
CG Naxalite Surrender | Photo Credit: IBC24
- 120 नक्सली आत्मसमर्पण करने को तैयार
- जिनमें कई कुख्यात माओवादी शामिल
- मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा की मौजूदगी में होगा सरेंडर
बीजापुर: CG Naxalite Surrender बीजापुर जिले के माड़ और भैरमगढ़ क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय करीब 170 नक्सलियों के जल्द ही आत्मसमर्पण करने की खबर सामने आई है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी (DKSZC) के प्रवक्ता रुपेश सहित कई कुख्यात और सक्रिय माओवादी शामिल हैं, जिन्होंने वर्षों तक इस क्षेत्र में हिंसा और आतंक का माहौल बनाए रखा था। बताया जा रहा है कि इन सभी नक्सलियों द्वारा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृह मंत्री विजय शर्मा की मौजूदगी में आत्मसमर्पण किया जाएगा।
CG Naxalite Surrender इस ऐतिहासिक अवसर को लेकर सुरक्षा बलों और प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारियां की गई हैं। आत्मसमर्पण स्थल तक इन नक्सलियों को सुरक्षित लाने के लिए नदी पार से विशेष बोट्स भेजी गई हैं, ताकि उन्हें सुरक्षित रूप से मुख्यधारा में लाया जा सके। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उसपरी नदी के पास पांच बसें भेजी गई हैं, जहां से नक्सलियों को बोट के माध्यम से नदी पार कराकर बसों के जरिए आयोजन स्थल पर लाया जाएगा। यह समर्पण कार्यक्रम सुरक्षा एजेंसियों और राज्य सरकार के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो लंबे समय से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास लाने के लिए प्रयासरत हैं।
हालांकि सुरक्षा कारणों से फिलहाल आम नागरिकों को उस पार जाने से रोका गया है। पूरे ऑपरेशन को बेहद सतर्कता और रणनीति के तहत अंजाम दिया जा रहा है, ताकि किसी भी संभावित खतरे से बचा जा सके।इस बड़े आत्मसमर्पण से क्षेत्र में शांति स्थापना की उम्मीद बढ़ी है और सरकार द्वारा पुनर्वास एवं पुनर्जनन की योजनाओं के तहत इन पूर्व नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह घटनाक्रम न केवल बीजापुर जिले के लिए बल्कि पूरे बस्तर क्षेत्र के लिए सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
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