Death Of Tiger : अचानकमार टाइगर रिजर्व में मादा बाघ की मौत, दो दिन तक वन अधिकारियों को नहीं थी खबर, सामने आई बड़ी लापरवाही

नहीं रहे अचानकमार टाइगर रिजर्व के टाइगर, दो दिन बाद मिली मौत की खबर...Death Of Tiger: Suddenly the tiger of Mar Tiger Reserve is,.....

Death Of Tiger : अचानकमार टाइगर रिजर्व में मादा बाघ की मौत, दो दिन तक वन अधिकारियों को नहीं थी खबर, सामने आई बड़ी लापरवाही

Death Of Tiger: Image Source-IBC24


Reported By: Sourabh Dubey,
Modified Date: January 25, 2025 / 10:09 am IST
Published Date: January 25, 2025 8:11 am IST

लोरमी : Death Of Tiger : अचानकमार टाइगर रिजर्व के जंगल में मादा टाइगर की मौत हो गई। घटना के दो दिनों बाद तक एटीआर प्रबंधन अनजान रहा। किसी को टाइगर की मौत के बारे में भनक तक नहीं लगी और न ही किसी अधिकारी ने टाइगर के बारे में बताया। दो दिन बाद टाइगर का शव मिला। शुक्रवार को अधिकारियों ने टाइगर का पीएम कर अंतिम संस्कार किया है। पीएम रिपोर्ट की जानकारी भी नहीं दी गई है।

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Death Of Tiger :  बता दे की बीते 23 जनवरी को शाम वन परिक्षेत्र लमनी के ग्राम छिरहाट्टा बिरारपानी के बीच बेंदरा-खोंदरा के तरफ ग्रामीण पैदल जा रहे थे। इसी दौरान झाड़ के पास एक टाइगर को देखा। पहले तो ग्रामीणों के होश उड़ गए। टाइगर को शांत देखकर संदेह हुआ। कुछ समय बाद भी टाइगर ने कुछ हरकत नहीं की। फिर ग्रामीण ने पास जाकर देखा तो टाइगर की मौत हो चुकी थी। इसके बाद गांव के लोगों को घटना के बारे में जानकारी दी गई। सूचना पर अफसर मौके पर पहुंचे। लमनी कोर परिक्षेत्र के छिरहट्टा के जंगल में एकेटी-13 मादा टाइगर का शव बरामद किया गया। मृत बाघिन की उम्र लगभग 4 साल है। इस घटना की जानकारी एटीआर की एसटीपीएफ के सदस्य द्वारा प्राप्त हुई है। टाइगर की मौत के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। शुक्रवार को एनटीसीए प्रोटोकॉल अनुसार मृत टाइगर का पोस्टमार्टम किया गया।

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Death Of Tiger : ग्रामीणों ने मृत टाइगर के बारे में एटीआर के अधिकारियों को सूचना देने के लिए मोबाइल नंबर से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन अधिकारियों का मोबाइल बंद था। एटीआर के आला अधिकारी बाघ की मौत को लेकर बयान देने से बचते रहे। एटीआर के अफसर बाघों की सुरक्षा को गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। जंगल के अंदर बाघ की सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं। एटीआर में बाघ की बढ़ती संख्या को देखते हुए राज्य व केंद्र सरकार हर साल करोड़ों रुपए खर्च करती है। ताकि एटीआर के टाइगर को सुरक्षा प्रदान किया जा सके। एटीआर के अफसर बाघों की निगरानी करने के लिए बड़े-बड़े दावे करते हैं। लेकिन युवा टाइगर की मौत से सभी दावे फेल हो गया है। इतनी बड़ी राशि कहां खर्च की जा रही है, किसी का पता नहीं है।


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टिकेश वर्मा- जमीनी पत्रकारिता का भरोसेमंद चेहरा... टिकेश वर्मा यानी अनुभवी और समर्पित पत्रकार.. जिनके पास मीडिया इंडस्ट्री में 12 वर्षों से अधिक का व्यापक अनुभव हैं। राजनीति, जनसरोकार और आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से सरकार से सवाल पूछता हूं। पेशेवर पत्रकारिता के अलावा फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना और किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है। सादा जीवन, उच्च विचार के मानकों पर खरा उतरते हुए अब आपकी बात प्राथिकता के साथ रखेंगे.. क्योंकि सवाल आपका है।