Reported By: Abhishek Soni
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अंबिकापुरः Ambikapur News राज्य सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था में बदलाव को लेकर हमेशा अपनी पीठ थपथपाती है. लेकिन जमीनी स्तर हालात क्या है? समय-समय अंदरुनी इलाकों से आती तस्वीरें बयां कर देती है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा में समय पर एम्बुलेंस नहीं मिल पाने के कारण एक नवजात ने दम तोड़ दिया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। इस घटना से स्वास्थ्य व्यवस्था कर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
Ambikapur News दरसअल उदयपुर क्षेत्र के ग्राम मिर्गाडांड की विशेष संरक्षित पंडो जनजाति की एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजनों ने तत्काल 102 एम्बुलेंस सेवा को कॉल किया, लेकिन एम्बुलेंस के पहुंचने से पहले दर्द बढ़ने पर महिला ने घर पर ही दाई की मदद से एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। जन्म के तुरंत बाद नवजात को 102 एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर लाया गया। सीएचसी में नाल काटने के बाद कुछ समय तक सब सामान्य था, लेकिन फिर शिशु को सांस लेने में परेशानी होने लगी। सीएचसी में ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने नवजात की स्थिति को गंभीर बताते हुए दोपहर करीब 3 बजे उसे जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया। परंतु शाम तक 108 एम्बुलेंस नहीं पहुंच सकी। परिजन लगातार एम्बुलेंस सेवा से संपर्क करते रहे, लेकिन कोई समाधान नहीं मिला शाम 6 बजे तक शिशु की सांसें थम गईं।
हद तो तब हो गई रात 8 बजे एम्बुलेंस कर्मियों का कॉल आया कि वे रवाना हो रहे हैं और तैयार रहें। इस पर गमगीन परिजनों ने कहा, “अब क्या करोगे आकर, हमारा बच्चा तो चला गया। आख़िरकार रात 11 बजे परिजन बाइक से मां और मृत नवजात को लेकर घर रवाना हुए। इस घटना ने सिस्टम की असंवेदनशीलता को उजागर कर दिया है इधर सीएचसी उदयपुर के बीएमओ डॉ. योगेंद्र पैकरा ने कहा, “मामले की जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। यह देखा जाएगा कि लापरवाही कहां हुई। वहीं, मितानिन मानकुंवर ने पूरी घटना का ब्यौरा देते हुए एम्बुलेंस सेवा की देरी को नवजात की मौत का कारण बताया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।