CG Politics: अब गीता भी पढ़ेंगे इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र, शिव डहरिया बोले- केवल हिंदू संस्कृति ही क्यों? डिप्टी सीएम साव ने दिया ऐसा जवाब

अब गीता भी पढ़ेंगे इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र, शिव डहरिया बोले- केवल हिंदू संस्कृति ही क्यों? Now students of engineering colleges in Chhattisgarh will also read Geeta

CG Politics. Image Source-IBC

HIGHLIGHTS
  • छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों में भारतीय परंपरा आधारित कोर्स 2025-26 से लागू होंगे।
  • श्रीमद्भगवत गीता और प्राचीन भारतीय विज्ञान को शिक्षा में जोड़ा जाएगा।
  • सिलेबस में बदलाव को लेकर राजनीति गर्म, कांग्रेस और भाजपा में टकराव।

रायपुरः CG Politics: छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों में विद्यार्थियों को अब तकनीकी शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति और परंपरा की शिक्षा भी दी जाएगी। आने वाले नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 से यह बड़ा बदलाव लागू किया जाएगा। राज्य में पहली बार इंजीनियरिंग छात्रों के लिए श्रीमद्भागवत गीता के अलावा प्राचीन गणित, खगोल विज्ञान, ज्योतिष और संविधान जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तकनीकी शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने की दिशा में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बड़ा कदम माना जा रहा है। इसे लेकर अब प्रदेश में सियासत भी तेज हो गई है।

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प्रदेश में गरमाई सियासत

CG Politics: प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेजों में भागवत गीता और भारतीय संस्कृति विषय पढ़ाए जाने पर पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि अगर ऐसा है तो सभी धर्म संस्कृति के विषय भी शामिल किया जाना चाहिए। केवल हिंदू संस्कृति ही क्यों ? भाजपा सभी धर्म संस्कृति को सम्मान करें ऐसा भेदभाव न करें। वहीं इस विषय को लेकर डिप्टी सीएम अरुण साव का बयान भी सामने आया है। इंजीनियरिंग के सिलेबस में गीता-भागवत शामिल करने को लेकर उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति 2020 के तहत काम हो रहा है। सनातन सुनते ही कांग्रेस के पेट में दर्द शुरू हो जाता है। सनातन धर्म से जुड़ना और इसे जानना अच्छी बात है।

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क्या है प्लान? डॉक्टर अजय त्रिपाठी ने किया खुलासा

इस पूरे विषय को और भी बेहतर तरीके से समझने के लिए हमने राज्य शासन NEP 2020 क्रियान्वन समिति के सदस्य डॉक्टर अजय त्रिपाठी से चर्चा की। उन्होंने बताया कि आने वाले सत्र में इन विषयों को जोड़ने का अर्थ यह नहीं है कि इसमें श्रीमद्भगवत गीता का पाठ या कृष्णा के उपदेश के बारे में नहीं बताया जाएगा, बल्कि इसमें केवल ईश्वर, जीव और सांसारिक जीवन के अर्थ को बताया जाएगा। आत्मा परमात्मा का ही अंश है और वो हमे कैसे मिलेंगे। हर धर्म में ईश्वर को प्राप्त करने की बात बताई जाती है। विद्यार्थियों को जीवन के मूल और महत्व बताना ही नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 का उद्देश्य है जिसके लिए इन विषयों को जोड़ा गया है। छत्तीसगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब छात्र केवल अच्छे इंजीनियर ही नहीं, बल्कि बेहतर नागरिक भी बनेंगे। इंजीनियरिंग छात्रों को प्राचीन भारतीय गणित और संस्कृति की भी जानकारी दी जाएगी। पहले सेमेस्टर में फाउंडेशन कोर्स ऑफ एंसिएंट इंडियन नॉलेज सिस्टम।दूसरे सेमेस्टर में श्रीमद्भगवत गीता – मैनुअल ऑफ लाइफ एंड यूनिवर्स। तीसरे सेमेस्टर में इंडियन ट्रेडिशनल नॉलेज साइंस एंड प्रैक्टिसेस और चौथे सेमेस्टर में इंडियन कल्चर और संविधान की शिक्षा दी जाएगी।

 

इंजीनियरिंग छात्रों को गीता क्यों पढ़ाई जाएगी?

गीता को छात्रों को जीवन मूल्यों, आत्मा-परमात्मा के सिद्धांत और समग्र जीवन दृष्टिकोण सिखाने के उद्देश्य से पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

क्या यह पाठ्यक्रम सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में लागू होगा?

हाँ, यह राज्य के सभी सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में 2025-26 सेमेस्टर से लागू किया जाएगा।

क्या अन्य धर्मों की संस्कृति भी सिलेबस में जोड़ी जाएगी?

फिलहाल पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति और गीता को शामिल किया गया है। विपक्षी नेताओं ने सभी धर्मों की संस्कृति जोड़ने की मांग की है, लेकिन सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

क्या श्रीमद्भगवत गीता पढ़ना अनिवार्य होगा?

सिलेबस के तहत इसे एक सांस्कृतिक और नैतिक शिक्षा के रूप में प्रस्तुत किया गया है, इसे अनिवार्य या वैकल्पिक बनाने पर अंतिम स्पष्टता सत्र शुरू होने से पहले दी जाएगी।

इस बदलाव का उद्देश्य क्या है?

इसका उद्देश्य है कि छात्र न सिर्फ तकनीकी ज्ञान पाएं, बल्कि अच्छे नागरिक, नैतिक और सामाजिक रूप से जिम्मेदार व्यक्ति भी बनें।