रायपुरः मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2022-23 के लिए बजट पेश किया। जिस पर प्रतिक्रिया और विश्लेषण का लंबा दौर चला। सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक तो विपक्ष ने इसे जीरो बजट करार दिया। यहां तक कुछ भी नया नहीं था लेकिन इन सब के बीच बुधवार को पीएम मोदी ने आत्मनिर्भरता अर्थव्यवस्था पर बीजेपी कार्यकर्ताओं से वर्चुअल संवाद किया। जिसके तहत उन्होंने देशभर के बीजेपी कार्यकर्ताओं को बजट की बारिकियां समझाईं। कांग्रेस ने पीएम मोदी की इस पाठशाला पर तंस कसा है। अब सवाल है कि जब देश की वित्तमंत्री ने करीब 90 मिनिट तक बजट में पूरा फ्यूचर विज़न रखा तो फिर प्रधानमंत्रीं जी को अपने ही कार्यकर्ताओँ को करीब डेढ़ घंटे तक बजट क्यों समझाना पड़ा। क्या सरकार के बजट का इस्तेमाल भी अब पार्टी के प्रचार के तौर पर किया जाएगा।
मंगलवार को मोदी सरकार ने साल 2022-23 के लिए बजट पेश किया तो इसपर सियासत भी शुरू हो गई। बीजेपी नेताओं ने इसे भविष्य के लिए नींव का पत्थर बताया तो कांग्रेस ने जीरो बजट करार देते हुए दिशाहीन करार दिया। सियासी बयानबाजी और बजट को लेकर उठ रहे सवालों के बीच पीएम मोदी आत्मनिर्भरता अर्थव्यवस्था पर देश भर के बीजेपी जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों से वर्चुअल संवाद की। पीएम ने इस दौरान कार्यकर्ताओं को सरल भाषा में बजट की बारिकियां बताई और निर्मला सीतारमण के फैसलों की सराहना करते हुए इसे भारत को आधुनिकता के रास्ते पर ले जाने वाला बजट बताया।
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दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर से वर्चुअल संवाद के दौरान पीएम मोदी की कही गई बातों को लेकर छत्तीसगढ़ बीजेपी के नेता अब आम जनता के बीच जाएंगे और बताने की कोशिश करेंगे कि बजट उनके लिए कैसे फायदेमंद है.. कैसे मोदी सरकार ने देश के युवा, किसान, महिला, व्यापारी समेत सभी वर्गों को ख्याल रखा है। पीएम के संवाद के बाद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि बजट देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम साबित होगा। एक ओर छत्तीसगढ़ बीजेपी जमीनी स्तर पर केंद्रीय बजट की उपलब्धियों को बताने के लिए रणनीति बना रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने भी बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक बीजेपी नेता केंद्रीय बजट को पार्टी का बजट बताकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
बहरहाल सवाल ये उठ रहा है कि क्या बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री ने जो फैसले लिए हैं। वो लोगों के समझ के परे है। क्या इसलिए खुद पीएम मोदी को आकर पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने इस पर विस्तार से चर्चा करनी पड़ी। वो भी तब जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण साफ-साफ कह चुकी हैं कि ये आगामी 25 साल की बुनियाद का बजट है। फिर क्यों पीएम मोदी बीजेपी कार्यकर्ताओं को 2022-23 के बजट के पीछे की सोच को बताने की जरूरत पड़ी। क्योंकि इससे पहले कभी भी बजट का पार्टी लेवल पर प्रचार की पंरपरा कभी नहीं रही। ऐसे में सबसे अहम सवाल ये कि क्या सरकार के हर कदम को वोट की राजनीति के हिसाब से इस्तेमाल करना जरूरी है।