रायपुर: बीजेपी अपनी संगठन शक्ति के लिए जानी जाती है, जबकि कांग्रेस में अक्सर फैसलों पर दिल्ली आलाकमान का असर रहा है। 2023 में प्रदेश में बनी बीजेपी सरकार को कांग्रेस ने जब ये कहकर घेरना चाहा कि यहां के सारे फैसले दिल्ली दरबार से होते हैं तो बीजेपी ने कांग्रेस जिलाअध्यक्षों की पूरी चयन प्रक्रिया के बहाने कांग्रेस को आईना दिखा दिया। याद दिलाया कि कांग्रेस जिलाध्यक्षों की अंतिम सूची तो राहुल गांधी ही फाइनल करेंगे, फिर बीजेपी की नकल कर संगठन सृजन अभियान क्यों?
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने बीजेपी सरकार और नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए…रिमोटेड या इशारे पर चल रही सरकार बताया। जवाब में बीजेपी ने भी याद दिलाया कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस क्षत्रपों के होते हुए भी फायनल फैसला दिल्ली में बैठे आलाकमान के पास है। दरअसल, इस बार कांग्रेस ने पार्टी के भीतर संगठन सृजन अभियान के जरिए, कार्यकर्ताओं की पसंद का जिला अध्यक्ष बनाने का फैसला कि बीते एक महीने से इसकी कवायद चली, 6-6 नामों की लिस्ट फायनल करने के बाद, उन्हीं नामों में से एक पर मुहर लगाने दिल्ली में pcc छत्तीसगढ़ के सीनियर नेताओं से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट ने वन टू वन चर्चा भी की। दावा है कि जिला अध्यक्षों की सूची फाइनल करने एक फायनल मीटिंग बची है जिसमें पार्टी के सबसे बड़े फेस, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी सचिन पायलट के साथ नामों पर मुहर लगेगी। पीसीसी चीफ दीपक बैज के मुताबिक प्रक्रिया पूरी हो चुकी है एक-दो दिनों में राहुल गांधी के नाम फायनल करते ही सूची जारी कर दी जाएगी ।
इधर, कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान को बीजेपी कोरा ढकोसला बताती है। भाजपा विधायक पुरंदर मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस में परंपरा है, सारे फैसले हाई कमान ही लेते हैं। मिश्रा ने तंज कसा कि जब नाम और सूची राहुल गांधी को ही फाइनल करनी थी तो महीने भर से संगठन सृजन का नाटक क्यों? कांग्रेस और खुद राहुल गांधी चाहते हैं कि राज्य में पार्टी की जमीनी इकाई, जिलाअध्यक्ष तेजतर्रार, एक्टिव और कार्यकर्ताओं की पसंद का हो ताकि मनचाहा रिजल्ट लाने टास्ट सौंपे जा सकें। राहुल गांधी मध्यप्रदेश में जिलाअध्यक्षों में ऐसा प्रयोग कर भी चुके हैं, लेकिन बड़े नेताओं को जिले की कमान देते ही। MP कांग्रेस में मचा घमासान किसी से छिपा नहीं है, तो अब बड़ा सवाल ये है कि छत्तीसगढ़ में जिला अध्यक्षों के चयन में कार्यकर्ताओं की पसंद चलेगी या राहुल गांधी की ?