CG News: नैनो डीएपी किसानों के लिए वरदान, ठोस डीएपी उर्वरक का स्मार्ट विकल्प

CG News: नैनो डीएपी किसानों के लिए वरदान, ठोस डीएपी उर्वरक का स्मार्ट विकल्प

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  • Publish Date - July 8, 2025 / 04:28 PM IST,
    Updated On - July 8, 2025 / 04:28 PM IST

CG News | Image Source | IBC24

HIGHLIGHTS
  • डीएपी की कमी पर नैनो डीएपी को विकल्प बनाया गया,
  • नैनो डीएपी सस्ता, असरदार और पर्यावरण के अनुकूल है,
  • खेती में उपयोग की वैज्ञानिक विधि तय की गई है,

रायपुर: CG News: छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को रासायनिक उर्वरकों की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयासरत है। खरीफ 2025 के दौरान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने इसके व्यवहारिक विकल्प के रूप में नैनो डीएपी के भंडारण एवं वितरण की विशेष व्यवस्था की है। इसके साथ ही एनपीके और एसएसपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का भी लक्ष्य से अधिक मात्रा में भंडारण कराया गया है। खेती में ठोस डीएपी उर्वरक की कमी को पूरा करने के लिए किसानों को उसके विकल्प के अनुरूप कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुरूप नैनो डीएपी अथवा एनपीके और सिंगल सुपर फास्फेट खाद की मात्रा का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।

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CG News: नैनो डीएपी एक आधुनिक, किफायती और प्रभावशाली तरल उर्वरक है, जो पारंपरिक डीएपी की तुलना में कहीं अधिक उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के वैज्ञानिकों ने नैनो डीएपी का समर्थन करते हुए कहा है कि इसके उपयोग से खेती की लागत में कमी आती है। नैनो डीएपी खेत में पोषण की कमी को प्रभावी ढंग से पूरा करता है और उत्पादन की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है। नैनो डीएपी पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। एक एकड़ धान की फसल के लिए एक बोरी ठोस डीएपी का उपयोग होता है। जिसकी लागत 1350 रूपए होती हैै, जबकि एक एकड़ में 25 किलो ठोस डीएपी और 500 मिली नैनो डीएपी के मिश्रण का उपयोग किया जाए तो इसकी लागत घटकर 1275 रूपए आती है।

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CG News: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने एक एकड़ धान की खेती के लिए नैनो डीएपी की उपयोग की विधि की विस्तार से जानकारी दी है। इसके अनुसार नैनो डीएपी की मात्र साढ़े 600 मिली मात्रा एक एकड़ धान की खेती में लगती है। धान की बुआई से पहले एक एकड़ के लिए 30 किलो बीज को 150 मिली नैनो डीएपी को तीन लीटर पानी में घोलकर उसमें बीज उपचारित कर आधा घंटा छाव में सुखाने के बाद बुआई की जाती है। रोपा के समय 50 लीटर पानी में 250 मिली नैनो डीएपी को मिलाकर उसमें थरहा की जड़ों को आधा घंटा डूबाकर रखने के बाद रोपाई तथा फसल बोआई के तीस दिन बाद 125 लीटर पानी में 250 मिली नैनो डीएपी को घोलकर खड़ी फसल पर इसका छिड़काव करना होता है। इससे फसलों को पोषक तत्व मिल जाते है।

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CG News: नैनो डीएपी फसलों को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करने के लिए बेहतर विकल्प है। यह पारंपरिक डीएपी के मुकाबले लागत कम और प्रभाव अधिक है। पारंपरिक डीएपी की एक बोरी की कीमत लगभग 1350 रूपए होती है, वहीं नैनो डीएपी की एक बोतल से कई एकड़ भूमि को लाभ पहुंचाया जा सकता है। यह स्प्रे के माध्यम से सीधे पौधों पर छिड़का जाता है, जिससे पोषक तत्वों का त्वरित अवशोषण होता है।

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CG News: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश के अनुरूप राज्य शासन द्वारा किसानों को डीएपी उर्वरक के विकल्प के रूप में नैनो डीएपी सहित वैकल्पिक उर्वरकों का पर्याप्त भण्डारण समितियों में किया जा रहा है। किसानों को इसके उपयोग के लिए प्रशिक्षण एवं जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं। कृषि विभाग ने किसानों से नैनो डीएपी तथा एनपीके, एसएसपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करने की अपील की है।

"नैनो डीएपी क्या है?"

नैनो डीएपी एक तरल उर्वरक है जो पारंपरिक डीएपी की तुलना में अधिक पोषक तत्व प्रदान करता है और पौधों द्वारा जल्दी अवशोषित किया जाता है। यह खेती की लागत को कम करता है और फसल की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

"नैनो डीएपी का उपयोग कैसे करें?"

धान की फसल के लिए, बीज को नैनो डीएपी और पानी के घोल में उपचारित किया जाता है। रोपाई के समय और फसल के 30 दिन बाद नैनो डीएपी का छिड़काव करना होता है, जिससे फसल को पोषण मिलता है।

"नैनो डीएपी और ठोस डीएपी में क्या अंतर है?"

ठोस डीएपी एक पारंपरिक उर्वरक है जिसे मिट्टी में मिलाया जाता है, जबकि नैनो डीएपी एक तरल उर्वरक है जो सीधे पौधों पर छिड़का जाता है। नैनो डीएपी की मात्रा कम लगती है और यह ज्यादा असरदार होता है।

"क्या नैनो डीएपी पर्यावरण के लिए सुरक्षित है?"

हाँ, नैनो डीएपी पर्यावरण के लिए सुरक्षित माना गया है क्योंकि इसकी खुराक कम होती है और यह सीधे पौधों में अवशोषित हो जाता है, जिससे मिट्टी और जल प्रदूषण की संभावना कम हो जाती है।

"नैनो डीएपी कहाँ से प्राप्त किया जा सकता है?"

राज्य सरकार द्वारा कृषि समितियों में नैनो डीएपी का पर्याप्त भंडारण किया गया है। किसान स्थानीय कृषि केंद्र या सहकारी समिति से इसे प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही इसके उपयोग के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।