भूपेश सरकार की ’प्रयास’ जहां आदिवासी बच्चे बन रहे ’एकलव्य’, कल गढ़ेंगे नवा छत्तीसगढ़
Eklavya Adarsh Residential School Scheme of Bhupesh Sarkar छत्तीसगढ़ में शिक्षा का स्तर पिछले चार वर्षों में काफी बढ़ा है।
Bhupesh Sarkar laid a network of roads in Chhattisgarh
Eklavya Adarsh Residential School Scheme: रायपुर। भूपेश सरकार राज्य में शिक्षा नीति को बेहतर बनाने के लिए एकलव्य विद्यालयों को खोलकर बच्चों के भविष्य को उड़ान दी है। भूपेश सरकार ने पिछले चार वर्षों में प्रदेश के नागरिकों को ही केंद्र में रखकर योजनाएं शुरू की हैं ताकि हर समाज के लोग लाभांवित हो सकें। छत्तीसगढ़ में शिक्षा का स्तर पिछले चार वर्षों में काफी बढ़ा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नए जमाने की शिक्षा से सक्षम बनाने के लिए ‘आदर्श छात्रावास योजना’, ‘एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय योजना’, ‘शिष्यवृत्ति योजना’, ‘छात्र भोजन सहाय योजना’, ‘राजीव युवा उत्थान योजना’, ‘राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा योजना’, ‘जवाहर विद्यार्थी उत्कर्ष योजना’ जैसी योजनाओं के बेहतर संचालन की व्यवस्था की है और इनसे मिलने वाले लाभ को भी बढ़ाया है।
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यह शायद पहला मौका होगा जब पहाड़ी कोरवा आदिवासियों के जीवन में इतनी सारी खुशी उनके हिस्से में आयी है। अब से पहले तक उपेक्षा और तकलीफ के सहारे उनकी जिंदगी बसर हो रही थी। जंगलों पर निर्भर रहने वाले ये पहाड़ी कोरवा की चिंता करती तो हर सरकार दिखती लेकिन कागज पर और यह पहली पहली बार हुआ है जब कागज नहीं, बात नहीं बल्कि सच में उनके हक में कुछ दिखाया है तो राज्य की भूपेश सरकार ने। राज्य सरकार ने इन आदिवासियों की जिंदगी बदलने के लिए शिक्षा से रोजगार और कोठी में अनाज से लेकर स्वच्छता तक का ध्यान रखा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल खुले हैं और नक्सल क्षेत्रों में लंबे समय से बंद पड़े स्कूलों को भी खोला गया है। दूरस्थ अंचल के विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी और बिरहोर समुदाय के बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए जिला प्रशासन द्वारा विशेष प्रयास किया जा रहा है। बच्चों के लिए आश्रम-छात्रावास की भी सुविधा दी जा रही है, ताकि बगीचा, सन्ना और पाठ क्षेत्र के बच्चे छात्रावास में रहकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकें।
आज प्रदेश के ज्यादातर बच्चे भूपेश सरकार की स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी और हिन्दी माध्यम विद्यालय में पढ़ाई कर रहें हैं। आज विशेष पिछड़ी जनजाति के बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करके शासकीय नौकरी का भी लाभ ले रहे हैं। बच्चों को निःशुल्क भोजन, पुस्तक-कॉपी, छात्रवृति, गणवेश और खेल की भी सुविधा उपलब्ध करा रही है। खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए जिलों में तीरंदाजी एकलव्य खेल अकादमी केन्द्र खोला गया है। ताकि बच्चे उच्च स्तरीय कोच से प्रशिक्षण लेकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना पहचान बना सके।
शिक्षा ने बदली पहाड़ी कोरवाओं की सोच
Eklavya Adarsh Residential School Scheme: उच्च शिक्षा की राह में अग्रसर हुई पहाड़ी कोरवा की उड़ान। भूपेश बघेल के इस कदम से कोरवा जनजातियों की उन बालक-बालिकाओं को भी आगे पढ़ाई करने की प्रेरणा मिली, जो पांचवीं,आठवीं पढ़ने के बाद बीच में ही अपना स्कूल जाना छोड़ देते थे। लंबे समय तक उच्च शिक्षा से दूर कोरवा समाज के बच्चों को 12वीं पास कर कालेज की दहलीज को छूने का मौका मिला है। वहीं बच्चों के पढ़ाई के लिए के लिए छत्तीसगढ़ में 50 नए एकलव्य विद्यालय खोले गए। हाल ही में भारत सरकार से राज्य में 50 नए एकलव्य विद्यालय आदिवासी इलाकों में खोलने की स्वीकृति मिली है। इसमें राज्य के 16 जिलों को शामिल किया गया है। पहली बार घोर नक्सल प्रभावित जिलों में शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के नारायणपुर जिले के ओरछा में एकलव्य विद्यालय खोला गया। पहाड़ी कोरवा परिवारों के बच्चे शिक्षा से जुड़ रहे हैं। पांचवीं, आठवीं तक की पढ़ाई करने वाले विशेष संरक्षित समुदाय के लोगों को चतुर्थ वर्ग की नौकरी शासन द्वारा दी जा रही है।
विशेष पिछड़ी पहाड़ी कोरवा जनजाति के लोगों की जीवन की दशा बदलने के लिए कई प्रयास किये जा रहे हैं, जिससे समुदाय के लोग की अब आर्थिक और सामाजिक प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं। निश्चित ही आने वाले समय में पहाड़ी कोरवा समाज के लिए एक मिसाल बनेंगे, जिस तरह से भूपेश सरकार पहाड़ी कोरवा जनजाति के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य क़ृषि रोजगार, स्वरोजगार एवं अन्य क्षेत्रों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रहा है उसमें आने वाले समय वे तेजी से दौड़ते हुए दिखेंगे। यदि बच्चे उच्च शिक्षा हासिल करेंगे तो अफसर भी बनेंगे जिससे समाज में बदलाव आएगा और वे भी विकास पथ पर अग्रसर हो सकेंगे।
एकलव्य स्कूल के असल मायने
एकलव्य स्कूल जिन्हें एकलव्य मॉडल रेजिडेंशियल स्कूल्स (EMRS) भी कहते हैं। इसकी स्थापना साल 1997-98 में की गई थी। ये स्कूल खासतौर पर पिछड़ी जाति के छात्रों के लिए बनाए जाते हैं ताकि उन्हें पढ़ाई के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें। ये स्कूल केवल एजुकेशन पर नहीं बल्कि ओवर-ऑल डेवलेपमेंट पर फोकस करते हैं। ये स्कूल राज्य सरकारों के अंडर में आते है जिन्हें इनकी स्थापना के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा फंड दिया जाता है। देश भर में कुल 367 कार्यात्मक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय हैं और वर्तमान में 85 हजार से अधिक छात्र नामांकित हैं।
जनजातीय मामले मंत्रालय ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के छात्रों के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय अनुसूचित जनजाति (एसटी) योजना शुरू की है जो दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले छात्रों को मध्यम और उच्च स्तरीय शिक्षा प्रदान करती है। योजना अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए लाभकारी है।
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विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा बच्चों के लिए प्रशिक्षण केन्द्र
Eklavya Adarsh Residential School Scheme: प्रदेश में खेल अधोसंरचना के विकास में तेजी आई है और अब आवासीय तथा गैर आवासीय खेल अकादमियाँ का संचालन किया जा रहा है। राज्य खेल प्रशिक्षण केन्द्र बहतराई – बिलासपुर में हॉकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स की आवासीय अकादमी संचालित है, जिसे भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा एक्सीलेंस सेंटर की मान्यता दी गई है। रायपुर में आवासीय तीरंदाजी अकादमी का संचालन किया जा रहा है। हॉकी, तीरंदाजी, फुटबॉल एवं एथलेटिक्स की गैर आवासीय खेल अकादमियां रायपुर में तथा तीरंदाजी प्रशिक्षण उपकेन्द्र शिवतराई-बिलासपुर में संचालित है। छत्तीसगढ़ को देश और दुनिया के लिए नई आशा और नए विश्वास का गढ़ बनाने में सफलता हासिल की है।

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