Raipur Rajbhavan Latest News: नक्सल हिंसा से पीड़ित बस्तर के लोगों ने की राज्यपाल से भेंट.. कहा, जारी रखें माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन..

पिछले एक हफ्ते से छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर चल रहे अभियान में कई नक्सली मारे गए हैं। जवानों के निशाने पर माओवादी संगठन के बड़े नेता हैं। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश के सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से माओवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य तय किया है।

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  • Publish Date - May 1, 2025 / 01:52 PM IST,
    Updated On - May 1, 2025 / 02:05 PM IST

Naxal violence victims of Bastar met the Governor | Image- IBC24 News File

HIGHLIGHTS
  • बस्तर के नागरिकों ने राज्यपाल से मिलकर नक्सल विरोधी अभियान जारी रखने की अपील की।
  • नक्सल हिंसा से पीड़ितों ने बताया – चार दशकों से जारी है आतंक और तबाही।
  • मुख्यमंत्री साय बोले – माओवाद के खिलाफ कोई समझौता नहीं, अभियान पूरी ताकत से जारी रहेगा।

Naxal violence victims of Bastar met the Governor: रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में चल रहे एंटी-नक्सल अभियान को लेकर स्थानीय नागरिकों और नक्सल हिंसा के पीड़ितों ने राज्यपाल रमेन डेका से मुलाकात की और उन्हें एक ज्ञापन सौंपते हुए माओवादियों के खिलाफ चल रहे सुरक्षा बलों के अभियान को निरंतर जारी रखने की अपील की।

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राजभवन में हुई इस मुलाकात के दौरान पीड़ितों ने राज्यपाल को बताया कि वे बीते चार दशकों से नक्सल हिंसा और आतंक का सामना करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस हिंसा ने बस्तर के सामाजिक ताने-बाने, आर्थिक गतिविधियों और सामान्य जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।

ज्ञापन में लिखी अपनी पीड़ा

ज्ञापन में लिखा गया है, “नक्सलवाद के कारण हजारों निर्दोष बस्तरवासियों ने अपने प्राण गंवाए हैं, सैकड़ों गाँव विस्थापित हुए हैं और अनगिनत परिवारों ने अपनों को खोया है। ग्रामीण इलाकों में बच्चों की जबरन भर्ती, युवाओं को बंदूक थमाना और विरोध करने वालों की हत्याएं – यह सब कटु सच्चाई रही है।”

Naxal violence victims of Bastar met the Governor: पीड़ितों ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से चलाए जा रहे समन्वित अभियान के चलते अब स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। दुर्गम क्षेत्र भी धीरे-धीरे मुख्यधारा में लौट रहे हैं और अब वहाँ विकास कार्य शुरू हो चुके हैं।

“नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो रही हैं”

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों में स्थानीय लोगों की भागीदारी ने यह सिद्ध कर दिया है कि अब क्षेत्र में सामान्य स्थिति बहाल हो रही है। सड़कें, विद्यालय, स्वास्थ्य केंद्र और व्यापारिक गतिविधियों का पुनः प्रारंभ इस बात का प्रमाण हैं कि नक्सलवाद की पकड़ कमजोर हो चुकी है।

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सीएम साय ने भी किया समर्थन

Naxal violence victims of Bastar met the Governor: राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी अभियान के बीच शांति वार्ता की कोशिशों की आलोचना करते हुए कहा कि, “जब से हम सत्ता में आए हैं, हमने शांति वार्ता के लिए रास्ता खोला है और समर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनर्वास की व्यवस्था भी की है। लेकिन आतंक और हिंसा के खिलाफ कार्रवाई से समझौता नहीं होगा।”

राजनीतिक बयानबाजी भी तेज

वहीं, तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) और कुछ अन्य नेताओं द्वारा चल रहे अभियान को लेकर आलोचना किए जाने पर मुख्यमंत्री साय ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान सुरक्षाबलों के मनोबल को कमजोर करते हैं।

सुरक्षाबलों की सख्ती से माओवादी बौखलाए

Naxal violence victims of Bastar met the Governor: पिछले एक हफ्ते से छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर चल रहे अभियान में कई नक्सली मारे गए हैं। जवानों के निशाने पर माओवादी संगठन के बड़े नेता हैं। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2026 तक देश के सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से माओवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य तय किया है।

1. बस्तर क्षेत्र में एंटी-नक्सल अभियान क्यों चलाया जा रहा है?

बस्तर क्षेत्र पिछले चार दशकों से नक्सल हिंसा से प्रभावित रहा है। आम नागरिकों की सुरक्षा, विकास कार्यों की बहाली और माओवादियों की हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है।

2. क्या नक्सलवाद कमजोर हो रहा है?

हाँ, सरकार के समन्वित प्रयासों और सुरक्षाबलों की सख्त कार्रवाई के चलते नक्सलवाद की जड़ें कमजोर हो रही हैं। अब दूरदराज के क्षेत्र भी मुख्यधारा में लौट रहे हैं और विकास कार्य फिर से शुरू हुए हैं।

3. क्या सरकार नक्सलियों के लिए पुनर्वास योजना भी चला रही है?

जी हाँ, जो नक्सली आत्मसमर्पण करते हैं, उनके लिए राज्य सरकार ने पुनर्वास और पुनर्निर्माण की योजना चलाई है। लेकिन जो हिंसा और आतंक का रास्ता चुनते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।