Mayawati on Caste Census Decision: लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसे “लंबे समय से लंबित मांग की पूर्ति” बताते हुए सरकार से इस जनहितैषी निर्णय को समय पर लागू करने की अपेक्षा जताई।
मायावती ने कहा, “केंद्र सरकार द्वारा देश में राष्ट्रीय जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना कराने का लिया गया फैसला लंबे विलंब के बाद सही दिशा में उठाया गया कदम है। यह स्वागत योग्य है। बसपा लंबे समय से इसकी मांग करती रही है।”
Mayawati on Caste Census Decision: उन्होंने यह भी कहा कि इस निर्णय से समाज के सामाजिक और आर्थिक समीकरणों को समझने में मदद मिलेगी और नीति निर्धारण में पारदर्शिता आएगी। “उम्मीद है कि सरकार निश्चित रूप से इस फैसले को समय पर लागू करेगी और इसे केवल घोषणा तक सीमित नहीं रखा जाएगा,” मायावती ने बुधवार को कहा।
इससे पहले बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जाति जनगणना को आगामी जनगणना प्रक्रिया में शामिल करने का ऐतिहासिक फैसला लिया। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCPA) द्वारा लिया गया है।
Mayawati on Caste Census Decision: वैष्णव ने कहा, “इस निर्णय से समाज का सामाजिक और आर्थिक ढांचा और अधिक मजबूत होगा और देश विकास की ओर तेजी से अग्रसर होगा। यह दर्शाता है कि सरकार समाज और देश के मूल्यों एवं हितों के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि मोदी सरकार ने पहले आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए बिना किसी सामाजिक दबाव के 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की थी, जो सरकार की समावेशी सोच को दर्शाता है।
देश में मूल जनगणना के साथ ही ’जातीय जनगणना’ कराने का केन्द्र सरकार द्वारा आज लिया गया फैसला काफी देर से उठाया गया सही दिशा में कदम। इसका स्वागत। बीएसपी इसकी माँग काफी लम्बे समय से करती रही है। उम्मीद है कि सरकार ’जनगणना से जनकल्याण’ के इस फैसले को समय से ज़रूर पूरा कराएगी।
— Mayawati (@Mayawati) April 30, 2025
Mayawati on Caste Census Decision: गौरतलब है कि कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दल लंबे समय से जाति जनगणना की वकालत करते रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने भाषणों और बयानों में समय-समय पर इसकी आवश्यकता पर जोर देते रहे हैं। अब केंद्र सरकार द्वारा इसे मंजूरी देने के बाद देशभर में विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।