CG Ki Baat: मिली उपेक्षा..टूटी आस, अनुशासन गोल..निकली भड़ास! सियासी नेताओं की नाराजगी क्यों अनुशासन की सीमा तोड़ रही है?
CG Ki Baat: मिली उपेक्षा..टूटी आस, अनुशासन गोल..निकली भड़ास! सियासी नेताओं की नाराजगी क्यों अनुशासन की सीमा तोड़ रही है?
CG Ki Baat/ Image Credit: IBC24
- निगम-मंडल-आयोग अध्यक्षों की 36 नामों वाली सूची जारी होने के बाद उठे विरोध के स्वर।
- भैयालाल राजवाड़े ने अपनी ही पार्टी की व्यवस्था पर सवाल उठाकर कांग्रेस को हमला बोलने का मौका दे दिया।
रायपुर। CG Ki Baat: इस वक्त प्रदेश के पॉलिटिकल गलियारे में एक सवाल है। ‘किसका घर ज्यादा कमजोर शीशे का है’। वजह, छत्तीसगढ़ की सियासत में इस वक्त असंतोष का रंग ज्यादा गाढ़ा होता दिख रहा है। कांग्रेस हो या बीजेपी, दोनों दलों में उपेक्षित नेताओं का दर्द जुबान पर आ गया है, वो भी इस तरह की अपनों को कठघरे में खड़ा कर रहा है। नेता पार्टी में अनुशासन और कार्रवाई के डर से बाहर आकर अपनी भड़ास सार्वजनिक कर रहे हैं। सवाल ये है कि क्या ये उपेक्षा की इंतेहा है ? आखिर ऐसा क्या हो रहा कि नेता तंज और रंज के साथ लिख रहा है। कार्यकर्ता कहीं के ?
तो कल तक, बीजेपी पर, निगम-मंडल-आयोग अध्यक्षों की 36 नामों वाली सूची जारी होने के बाद उठे विरोध के स्वर पर तंज कसने वाली कांग्रेस की प्रदेश में क्या हालात हैं, इस पर आईना दिखाया उन्हीं के अपने कार्यकर्ताओं ने, मौका था। दिल्ली में छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्षों से राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी समेत तमाम दिग्गज नेताओं के सीधे संवाद का जिस मंच पर राहुल-खऱगे साथ-साथ के वेणुगोपाल,PCC प्रभारी सचिन पायलट, पूर्व CM भूपेश बघेल बैठे थे उनक सामने रायगढ़ जिला अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने दो टूक कहा कि पार्टी और पार्टी एक्शन से बड़ा अब नेता , उनके गुट और उनके स्वागत के इंतजाम हो गए हैं, इसीलिए सत्ता में रहकर भी हार जाते हैं। इस वीडियो के सामने आते ही बीजेपी ने इसे कांग्रेस की कड़वी हकीकत बताया तो कांग्रेसियों का तर्क है कि ये तो सुबूत है कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र है।
CG Ki Baat: वहीं जबर बीजेपी, कांग्रेस को गुटबाजी से ग्रसित बताकर घेर रही है तभी BJP सरकार में मंत्री रहे भैयालाल राजवाड़े ने अपनी ही पार्टी की व्यवस्था पर सवाल उठाकर कांग्रेस को हमला बोलने का मौका दे दिया। राजवाड़े की नाराजगी हाल में हुए जिला पंचायत चुनाव में कैंडिडेट चयन पर है, उनका आरोप है कि पूर्व मंत्री होते हुए भी सत्ता-संगठन में उनकी कोई पूछ-परख नहीं तो एक तरफ कांग्रेस की टॉप लीडरशिप के सामने जिला अध्यक्षों का गुस्सा तो दूसरी तरफ पूर्व मंत्री की अपनी ही पार्टी से पीड़ा साफ है कि भले ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप लगाएं, अपनों को नसीहत दें और विरोधी पर तंज कसें लेकिन असल में क्या चल रहा है सामने है, सवाल है बद्तर हाल कहां है, और कौन तेजी से बेहतर हालात संभाल रहा है ?

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