Bilaspur News: गुरु घासीदास जयंती समारोह में RSS के पहुंचने पर हंगामा, राजमहंत पर लगा भगवाकरण के प्रयास का आरोप, दो धड़ों में बंटा समाज !
Bilaspur News: विरोध करने वाले जितेंद्र बंजारा ने सीधे समाज के राजमहंत पर ही भगवाकरण के प्रयास का आरोप लगा दिया है। यानी मामला अब संघ विरोध से आगे बढ़कर समाज के भीतर दो धड़ों की टकराहट बन गया है।
- सतनामी समाज कभी भी संघ विरोधी नहीं रहा : राजमहंत डॉ. बसंत अंचल
- गुरु घासीदास बाबा ने दिया था सामाजिक समरसता का संदेश : संघ
- कार्यक्रम के भगवाकरण की कोशिश : जितेंद्र बंजारा
बिलासपुर: Bilaspur News, बिलासपुर में गुरु घासीदास जयंती के दौरान हुआ विवाद अब सतनामी समाज के भीतर की आंतरिक कलह के रूप में सामने आ रहा है। दर्शन–पूजन के लिए पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों के विरोध के बाद जहां समाज के प्रमुख इसे एक व्यक्ति का कृत्य बता रहे हैं। वहीं विरोध करने वाले जितेंद्र बंजारा ने सीधे समाज के राजमहंत पर ही भगवाकरण के प्रयास का आरोप लगा दिया है। यानी मामला अब संघ विरोध से आगे बढ़कर समाज के भीतर दो धड़ों की टकराहट बन गया है।
मामला बिलासपुर के मिनीबस्ती स्थित महंत बाड़ा का है। गुरु घासीदास जयंती समारोह के दौरान जैसे ही संघ पदाधिकारी दर्शन – पूजन के लिए पहुंचे, इसी दौरान विरोध और नारेबाजी शुरू हो गई। आरोप लगाए गए कि कार्यक्रम के मंच से संघ का प्रचार किया जा रहा है। देखते ही देखते यह विरोध कार्यक्रम की शांति पर भारी पड़ने लगा।
सतनामी समाज कभी भी संघ विरोधी नहीं रहा
Bilaspur News, घटना के बाद सतनामी समाज के राजमहंत डॉ. बसंत अंचल सामने आए, उन्होंने साफ कहा कि सतनामी समाज कभी भी संघ विरोधी नहीं रहा है और यह पूरा घटनाक्रम समाज का नहीं बल्कि एक व्यक्ति का निजी विरोध है। राजमहंत ने जितेंद्र बंजारा पर आरोप लगाते हुए कहा कि उसका विवादों से पुराना नाता रहा है। प्रदेशभर में उसके खिलाफ 10 से ज्यादा एफआईआर दर्ज हैं और बलौदाबाजार हिंसा में भी वह मुख्य आरोपी रह चुका है।
कार्यक्रम के भगवाकरण की कोशिश का आरोप
हालांकि, अब इसी बयान के बाद जितेंद्र बंजारा ने पलटवार करते हुए राजमहंत डॉ. बसंत अंचल पर ही कार्यक्रम के भगवाकरण की कोशिश का आरोप लगा दिया है। जिससे समाज के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। इस आंतरिक विवाद के बीच अब हिन्दू संगठन भी मैदान में उतर आए हैं।
बजरंग दल का कहना है कि जितेंद्र बंजारा पहले भी कथा वाचक आशुतोष चैतन्य महाराज के विरोध में आपत्तिजनक नारेबाजी कर माहौल बिगाड़ चुका है। बहुत बुरी मानसिकता वाला यह व्यक्ति समाज में अशांति फैलाने के प्रयास करता दिखाई पड़ता रहता है।
गुरु घासीदास बाबा ने दिया था सामाजिक समरसता का संदेश
वहीं संघ पदाधिकारियों का कहना है कि गुरु घासीदास बाबा ने सामाजिक समरसता का संदेश दिया था और उसी भावना के साथ संघ के लोग हर साल जयंती पर पूजन-अर्चन के लिए जाते हैं। जहां आमतौर पर समाज के लोग भी साथ रहते हैं।
कुल मिलाकर, गुरु घासीदास जयंती के मंच से शुरू हुआ यह विवाद अब सतनामी समाज के भीतर नेतृत्व और विचारधारा की टकराहट में बदलता नजर आ रहा है एक ओर समाज प्रमुख इसे व्यक्तिगत कृत्य बता रहे हैं, तो दूसरी ओर विरोध करने वाला पक्ष भगवाकरण के आरोप लगा रहा है। सवाल यही है कि आस्था और समरसता के मंच पर उभरी यह आंतरिक कलह समाज को किस दिशा में ले जाएगी यह देखना होगा।

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