इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इजात किया चावल से प्रोटीन बनाने नया तरीका, बचे हिस्से से बन सकता है शक्कर

IGKV के वैज्ञानिकों ने इजात किया चावल से प्रोटीन बनाने नया तरीका! Scientists of IGKV invented a new way to make protein from rice

  •  
  • Publish Date - February 25, 2022 / 10:37 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:18 PM IST

रायपुर: protein from rice Raipur University  इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने चावल से प्रोटीन बनाने का एक ऐसा नया तरीका इजाद किया है, जो प्रोटीन इंडस्ट्री की तस्वीर बदल सकता है। इस तरीके से बेहद कम खर्च से चावल से प्रोटीन बनाया जाता है और बचा हिस्सा पूरी तरह से प्राकृतिक शक्कर बन जाता है। विश्वविद्यालय ने इस नई तकनीक के पेटेंट के लिए आवेदन भी कर दिया है।

Read More: सरकार की योजनाओं से खुश हैं किसान, मजदूर और आदिवासी, हर जगह हो रही छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा

protein from rice ये हैं डॉ. सतीश वेरुलकर और डॉ. शुभा बैनर्जी। दोनों रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट मॉलिक्यूलर बायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट से हैं, जिन्होंने चावल से प्रोटीन बनाने का नया तरीका इजाद किया है। इन दोनों वैज्ञानिकों ने बेहद कम पूंजी और आसान प्रक्रिया के जरिए चावल से प्रोटीन बनाया है। ये इतना आसान है कि इसे घरेलु उद्योग के तौर पर भी शुरू किया जा सकता है। चावल से बने प्रोटीन की डायजेस्टिबिलिटी 90 प्रतिशत से ज्यादा है, जो मार्केट में मौजूद दूसरे प्रोटीन से कहीं बेहतर है। विश्वविद्यालय की ओर से प्रोटीन बनाने के इस नए तरीके के पेटेंट के लिए आवेदन भी कर दिया गया है।

Read More: बिगड़ने लगे हैं यूक्रेन के हालात, मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों ने वीडियो जारी कर बयां किए हालात

ये खोज छत्तीसगढ़ में प्रोटीन इंडस्ट्री स्थापित कर सकती है, क्योंकि यहां हर साल करीब 30 हजार मीट्रिक चावल अतिशेष बच जाता है। पूरी दुनिया में प्रोटीन का 11 बिलियन डॉलर का मार्केट है, जिसमें भारत में 2 बिलियन डॉलर की खपत है। फिलहाल बाजार में व्हे और सोया प्रोटीन का शेयर सबसे अधिक है। ऐसे में प्लांट बेस्ड प्रोटीन की ज्यादा डिमांड के चलते ये खोज बेहद अहम जाती है।

Read More: शादी के दूसरे दिन ही पत्नी ने पति से कर दी ये डिमांड, फिर कुछ दिन बाद भाई के साथ कर गई कांड

वैज्ञानिकों का दावा है कि चावल से प्रोटीन और शक्कर बनाने के बाद चावल की वैल्यू चार गुना हो जाती है। यानि 100 रुपये के चावल को प्रोसेस्ड कर 400 रुपये का प्रोटीन और शक्कर बनाया जा सकता है। ऐसे में धान का कटोरा कहे जाना वाला ये प्रदेश प्रोटीन के क्षेत्र में भी एक बड़ा नाम बन कर उभर सकता है।

Read More: सीएम के तीखे तीर…फिर निशाने पर केंद्र! पीएम पर सीधे निशाने के बाद इसे सियासी मुद्दा बनाएगी प्रदेश भाजपा?