रायपुरः देश के गृहमंत्री अमित शाह ने नक्सलप्रभावित राज्यों के मुख्यंत्रियों और अफसरों के साथ एक मीटिंग कर नक्सल प्रभावित इलाकों में चल रहे ऑपेशन्स और विकास कार्यों की समीक्षा की और आगे की प्लानिंग करते हुए कहा कि बीते एक साल में देशभर में नक्सल वारदातों में कमी आई है। साथ ही ये भी कहा कि अगर मिलकर रणनीति पर काम किया जाए तक अगले एक साल में नक्सवाद का खात्मा हो सकता है। एक तरफ केंद्र और राज्य मिलकर साझा रणनीति प्लान कर रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच इस बात को लेकर फिर बहस छिड़ गई है कि नक्सलवाद के प्रसार के लिए जिम्मेदार कौन है?
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अफसरों की बैठक में देशभर में नक्सली घटनाओं में कमी आने की बात कही। शाह ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें पूरी ताकत से संयुक्त प्रयास करें तो 1 साल में नक्सलवाद खत्म किया जा सकता है। इस बैठक में जहां केंद्रीय गृहमंत्री ने नक्सवाद के खात्में पर बात की।
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वहीं प्रदेश में पक्ष-विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के मुताबिक प्रदेश सरकार नक्सलवाद के खात्में पर गंभीर नहीं है। ऐसा एक भी सप्ताह नहीं है जब नक्सली वारदात ना होती हो। केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा बुलाई इस अहम मीटिंग में प्रदेश के मुख्यमंत्री का शामिल ना होना इसी बात को दर्शाता है। वहीं पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ना नक्सलवाद को लेकर संजीदा है ना ही प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर।
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इधर,कांग्रेस के मुताबिक प्रदेश में नक्सलवाद के लिए अगर कोई दोषी है तो वो है भाजपा की 15 साल की सरकार कांग्रेस नेताओं के मुताबिक रमन सिंह के कार्यकाल में नक्सलियों ने पूरे प्रदेश में पैर जमाए लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने के बाद नक्सली घटनाओं में कमी आई है। वो अब 3 जिलों में सिमट कर रह गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीटिंग के बाद भाजपा नेताओं की टिप्पणी पर कहा कि हर बात को सियासी चश्में से नहीं देखना चाहिए।
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वैसे, नक्सलवाद पर भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोपों की ये खींचतान नई नहीं है। पर यहां सबसे अहम सवाल ये है कि क्या छ्त्तीसगढ़ में 1 साल के अंदर नक्सलवाद खत्म किया जा सकता है। इसे लेकर क्या वाकई केंद्र और राज्य ने मिलकर ठोस रणनीति बना ली है क्योंकि सच ये भी है कि तमाम दावों और प्रयासों के बाद भी नक्सली वारदातें कर अपनी मौजूदगी जताते रहे हैं।
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