मां-बाप से शादी खर्च के लिए दावा कर सकती है अविवाहित बेटी, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला

Chhattisgarh Highcourt News : दुर्ग फैमिली कोर्ट का फैसला छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पलट दिया है। साथ ही केस की सुनवाई करते हुए कहा है कि अविवाहित बेटियां माता-पिता से अपनी शादी का खर्च मांग सकती हैं। Unmarried daughter can claim for marriage expenses from parents

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  • Publish Date - March 31, 2022 / 11:59 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:07 PM IST

daughters claims expenses of wedding

रायपुर : daughters claims expenses of wedding : अविवाहित बेटियां अब अपने माता-पिता से शादी के खर्च (daughters claims expenses of wedding) पर दावा कर सकती हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अपने फैसले में माना है कि अविवाहित बेटियां (unmarried daughters news) हिंदू दत्तक और भरण पोषण अधिनियम, 1956 के तहत अपने माता-पिता से शादी के खर्च का दावा कर सकती हैं। दुर्ग फैमिली कोर्ट के एक आदेश को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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daughters claims expenses of wedding : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और न्यायमूर्ति संजय एस अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले को वापस भेज दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने दोनों पक्षों को फैमिली कोर्ट में पेश होने के लिए कहा है। साथ ही कोर्ट ने 6 साल इस पुराने मामले में पुनर्विचार कर फैसला लेने का आदेश दिया है।

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दरअसल, भिलाई स्टील प्लांट में कार्यरत रहे भानुराम की बेटी राजेश्वरी ने 2016 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी। उस समय हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर फैमिली कोर्ट में आवेदन देने के लिए कहा था। राजेश्वरी ने फैमिली कोर्ट में आवेदन जमा कर कहा था कि कोर्ट उसके पिता को शादी के लिए 25 लाख रुपये देने के लिए निर्देशित करे। पिता को सेवानिवृति के बाद स्टील प्लांट से 55 लाख रुपये मिलने वाले थे।

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25 लाख रुपये शादी खर्च की मांग

राजेश्वरी की याचिका को फैमिली कोर्ट ने 20 फरवरी 2016 को खारिज कर दिया। इसके बाद राजेश्वरी ने फिर से हाईकोर्ट का रूख किया। हाईकोर्ट में राजेश्वरी के वकील की तरफ से कहा गया है, उसके पिता को रिटायरमेंट के बाद 75 लाख रुपये मिले हैं। इसमें से बेटी 25 लाख रुपये शादी के खर्च के लिए मुहैया कराने की मांग कर रही है। अपीलकर्ता ने अपनी याचिका में यह दावा किया था कि वह एक अविवाहित बेटी है।

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हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम 1956 की धारा 20 के तहत बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल की जिम्मेदारी तय की गई है। कानून में दिए गए अधिकारों के तहत बेटी की शादी का उचित खर्च और उसकी शादी के लिए होने वाला खर्च शामिल है। भारतीय समाज में, आम तौर पर शादी से पहले और शादी के समय भी खर्च करने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, 1956 के अधिनियम की केंद्रीयता दोनों को सुरक्षा प्रदान करती है।

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