Vishnu ka Sushasan: PDS सिस्टम में सुधार.. जरूरतमंदों को मिल रहा लाभ, रजत जयंती में खाद्यान्न आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता छत्तीसगढ़

PDS सिस्टम में सुधार.. जरूरतमंदों को मिल रहा लाभ, Vishnu ka Sushasan: Chhattisgarh moving towards food self-sufficiency in silver jubilee

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  • Publish Date - August 28, 2025 / 11:52 PM IST,
    Updated On - August 29, 2025 / 12:11 AM IST

रायपुरः Vishnu ka Sushasan: छत्तीसगढ़ राज्य ने 1 नवंबर 2025 को अपनी स्थापना के 25 साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर को “छत्तीसगढ़ रजत जयंती” (Silver Jubilee) के रूप में मनाया जा रहा है। इन 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने कई क्षेत्रों में उल्लेखनीय उन्नति की है। रजत जयंती वर्ष में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में सरकार ने प्रदेशवासियों के लिए कई अहम फैसले लिए हैं। यही वजह है कि प्रदेश में अब नया उमंग और नया उत्साह देखा जा रहा है। साय सरकार ने प्रदेश के लोगों को खाद्यान्न सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए कई योजनाएं भी संचालित कर रही है। प्रदेश के गरीब परिवारों के पोषणयुक्त खाद्यान्न मुफ्त पर उपलब्ध करा रही है।

वर्ष 2000 में जब छत्तीसगढ़ ने एक स्वतंत्र राज्य के रूप में अपनी यात्रा शुरू की, तब यह क्षेत्र अनेक गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा था। गरीबी, पिछड़ापन, नक्सल प्रभाव, बुनियादी ढांचे की कमी और सबसे अहम किसानों को उनकी मेहनत का वाजिब मूल्य न मिल पाना। ये समस्याएँ इतनी व्यापक थीं कि राज्य के लिए खाद्यान्न आत्मनिर्भरता हासिल करना और हर नागरिक तक भोजन पहुंचाना एक बहुत बड़ा लक्ष्य था। उस समय की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) बेहद असंगठित थी। राशन दुकानों पर या तो अनाज मिलता नहीं था या उसकी गुणवत्ता बेहद खराब होती थी। किसानों के पास सुरक्षित धान बिक्री की कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी। उन्हें मजबूरी में अपनी उपज औने-पौने दामों में बेचना पड़ता था। राज्य में भंडारण और प्रसंस्करण की व्यवस्था भी सीमित थी, जिससे उपज का प्रबंधन और वितरण दोनों प्रभावित होते थे। कुल मिलाकर, यह स्थिति ऐसे राज्य के लिए विडंबना थी जिसे देश ‘धान का कटोरा’ कहकर संबोधित करता था, लेकिन जो अपने नागरिकों को भरपेट भोजन देने में सक्षम नहीं था।

सुशासन से सुदृढ़ हुई व्यवस्था

Vishnu ka Sushasan: आज, 25 वर्ष बाद जब छत्तीसगढ़ अपनी रजत जयंती मना रहा है, तो गर्व से कहा जा सकता है कि इस राज्य ने न केवल खाद्यान्न आत्मनिर्भरता हासिल की है, बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के क्षेत्र में पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है। इस परिवर्तन के पीछे जो सबसे बड़ी ताकत रही, वह है राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का नेतृत्व। उनकी दूरदृष्टि, किसान-हितैषी नीतियों और योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन ने छत्तीसगढ़ को कृषि क्षेत्र में सशक्त बनाया। उनके शासन में किसानों को न केवल उनकी फसलों का उचित मूल्य मिला, बल्कि भंडारण, वितरण और समर्थन मूल्य प्रणाली जैसी व्यवस्थाओं को भी सुदृढ़ किया गया।

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खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य

खाद्य सुरक्षा कानून लागू करने वाला देश का पहला राज्य छत्तीसगढ़ अब खाद्यान्न में भी आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है। इस बार बजट में खाद्य सुरक्षा हेतु 5,326 करोड़ का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री खाद्यान्न सहायता योजना, अन्त्योदय अन्न योजना, सार्वभौम सार्वजनिक वितरण प्रणाली जैसे योजनाओं से निर्धारित पात्रता के अनुसार हितग्राहियों को राशन का वितरण किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के अंतर्गत निर्धारित पात्रता अनुसार राज्य के अन्त्योदय राशनकार्डो पर 35 किलोग्राम चावल प्रतिमाह, प्राथमिकता राशनकार्डों पर 1 से 2 सदस्यों के लिए 10 किलोग्राम चावल प्रति सदस्य प्रतिमाह, 3 से 5 सदस्य वाले राशनकार्डों को 35 किलोग्राम चावल प्रतिमाह व 5 से अधिक सदस्य वाले राशनकार्डों को 7 किलोग्राम चावल प्रति सदस्य प्रतिमाह, एकल निराश्रित राशनकार्डों पर 10 किलोग्राम चावल प्रतिमाह, निःशक्तजन राशनकार्डों पर 10 किलोग्राम चावल प्रतिमाह निःशुल्क चावल उपलब्ध कराया जा रहा है।

बिचौलियों पर लगा रोक, जरूरतमंदों को मिल रहा लाभ

छत्तीसगढ़ में एक समय सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की स्थिति इतनी खराब थी कि गरीबों को नियमित रूप से राशन मिलना भी मुश्किल हो गया था। व्यवस्था में व्यापक भ्रष्टाचार, फर्जी राशन कार्डों की भरमार और अनाज की गुणवत्ता को लेकर भारी लापरवाही थी। लेकिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में इस प्रणाली का पूरी तरह से कायाकल्प हुआ है। साय सरकार ने पारदर्शिता और तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता देते हुए PDS को एक सशक्त और विश्वसनीय प्रणाली में बदल दिया है, जिसके अंतर्गत आज राज्य की 90% से अधिक आबादी को प्रभावी रूप से खाद्यान्न उपलब्ध कराया जा रहा है। एक रुपये किलो चावल योजना ने ग़रीबों को राहत दी है और भूखमरी पर प्रभावी अंकुश लगाया है। राशन कार्डों का डिजिटलीकरण कर फर्जीवाड़े पर रोक लगाई गई, वहीं दुकानों पर पॉइंट ऑफ़ सेल (POS) मशीनों और बायोमैट्रिक पहचान प्रणाली की शुरुआत से यह सुनिश्चित किया गया कि अनाज सही व्यक्ति तक ही पहुंचे। अनाज की गुणवत्ता की सख़्त निगरानी ने वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता और लाभार्थियों के विश्वास को और मजबूत किया है, जिससे अब दुकानों में बेहतर गुणवत्ता का चावल और गेहूं उपलब्ध होने लगा है। इन प्रभावी कदमों के चलते छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आज देश में सबसे सफल और अनुकरणीय मॉडल के रूप में देखा जाता है। उल्लेखनीय है कि इस बदलाव की नींव 2004 में रखी गई थी, जब छत्तीसगढ़ सरकार ने “छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश, 2004” लागू किया, जिसने वितरण और खरीदी व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया। आज छत्तीसगढ़ न केवल खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर है, बल्कि उसकी सार्वजनिक वितरण प्रणाली नवाचार और सुशासन का प्रतीक बन चुकी है।

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48 लाख परिवारों को गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ

विष्णुदेव साय के मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ में विकास की बयार चल पड़ी है। केंद्र सरकार की योजनाओं का सफल क्रियान्वयन छत्तीसगढ़ में हो रहा है। मोदी सरकार की ओर से शुरू की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) छत्तीसगढ़ के लगभग 48 लाख परिवारों को हर माह लगभग 22.50 लाख क्विंटल चावल का वितरण किया जा रहा है। वर्ष 2028 तक इस योजना का लाभ गरीब परिवारों को दिया जाएगा। भूमिहीन कृषि मजदूर, सीमांत किसान, ग्रामीण कारीगर/शिल्पकार जैसे कुम्हार, चर्मकार, बुनकर, लोहार, बढ़ई, झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले तथा अनौपचारिक क्षेत्र में दैनिक आधार पर आजीविका कमाने वाले व्यक्ति जैसे कुली, रिक्शा चालक, हाथ गाड़ी चालक, फल और फूल विक्रेता, सपेरा, कूड़ा बीनने वाले, मोची, निराश्रित लोगों को भी फ्री राशन दिया जा रहा है।