Vishnu Ka Sushasan: सुशासन की रीति.. जीरो टॉलरेंस की नीति, रजत जयंती वर्ष में साय सरकार ने बनाया सुशासन एवं अभिसरण विभाग, पस्त हुए भ्रष्टाचारियों के हौसले
Vishnu Ka Sushasan: Sai government created the Department of Good Governance and Convergence In silver jubilee year
Vishnu Ka Sushasan. Image Source- IBC24
रायपुरः Vishnu Ka Sushasan : 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ भारत के 26वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। लंबे समय से चली आ रही क्षेत्रीय, सांस्कृतिक और प्रशासनिक मांगों के बाद जब मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना, तो यह केवल एक भौगोलिक विभाजन नहीं था, बल्कि एक नए आत्मविश्वास, नई पहचान और विकास की नई सोच की शुरुआत थी। राज्य निर्माण का उद्देश्य था कि स्थानीय जनता को बेहतर प्रशासन, विकास और संसाधनों का लाभ मिले। लेकिन जिस समय छत्तीसगढ़ नया-नया बना, उस दौर में भ्रष्टाचार एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया। यह न केवल सरकारी व्यवस्था में व्याप्त था, बल्कि विकास की प्रक्रिया में भी बाधा बनता गया। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में सरकार के निर्माण होने के बाद भ्रष्टाचार रोकने के लिए विशेष पहल किए गए।
राज्य के शुरूआती वर्षों में शिक्षा, स्वास्थ्य, राशन वितरण और ग्रामीण विकास से जुड़ी योजनाओं में भी लाभार्थियों तक सहायता पहुँचाने में भ्रष्टाचार बाधा बना। फर्जी नामों पर भुगतान, निर्माण कार्यों में गुणवत्ता की अनदेखी, और योजनाओं की निगरानी में लापरवाही आम बात थी। यह सब तब हो रहा था जब राज्य की जनता को उम्मीद थी कि नया राज्य उन्हें बेहतर प्रशासन देगा। इन चुनौतियों के बावजूद राज्य ने धीरे-धीरे अपने तंत्र को मजबूत करना शुरू किया। आज जब राज्य अपने निर्माण के 25वें वर्ष यानी रजत जयंती वर्ष में हैं तो यह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अगुवाई में सुशासन सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।
Vishnu Ka Sushasan सुशासन को मूलमंत्र मानने वाली छत्तीसगढ़ सरकार विकास के नए आयाम तो गढ़ ही रही हैं। साथ ही साथ प्रदेश से भष्ट्राचार को भी दूर करने की कोशिश कर रही है। साय सरकार हर काम को गुणवत्ता के साथ करवा रही है। दूसरी ओर दफ्तरों में भी बैठे अधिकारियों और कर्मचारियों को भष्ट्राचार नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ में शासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सरकार ने प्रदेश में एक सुशासन एवं अभिसरण विभाग बनाने का निर्णय भी लिया है। अभी तक प्रदेश में 57 विभाग थे, यह 58वां होगा। यह 58वां विभाग न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा बल्कि सरकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में भी मदद कर रहा है।

क्या है सुशासन एवं अभिसरण विभाग
सुशासन एवं अभिसरण (गुड गवर्नेंस एंड कन्वर्जेंस) विभाग छत्तीसगढ़ में शासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और प्रभावी प्रशासन सुनिश्चित कर रहा है। इस विभाग के जरिए ई-समीक्षा, ई-लोक सेवा गारंटी और डिजिटल सचिवालय जैसी प्रमुख पहल को एकीकृत हुए, जिन्हें पहले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा प्रतिपादित किया जाता था। इस विभाग का दखल दूसरे सभी 57 विभाग है। उन विभागों में जनता को क्या समस्याएं आ रही हैं, उनके समाधान पर यह विभाग सीधे काम कर रहा है। सरकारी तंत्र में लेटलतीफी और रिश्वत मामलों को निपटाने का जिम्मेदारी भी इस विभाग के पास है।
घोटालों पर सरकार की सख्ती
- शराब घोटाला- वर्ष 2019 से 2022 तक 2,161 करोड़ के कथित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्रवाई कर कईयों को सलाखों के पीछे भेज दिया है।
- डीएमएफ घोटाला- जिला खनिज न्यास मद घोटाले के मामले में दोषी को उनकी कारगुजारियों को जेल में डाला जा चुका है।
- सीजीपीएससी भर्ती घोटाला- राज्य सेवा परीक्षा में व्यापक स्तर पर हुई गड़बड़ियों पर सीबीआइ जांच चल रही है। जांच कराई।
- कोयला घोटाला- कोयला परिवहन पर 25 रुपये की अवैध उगाही कर 540 करोड़ रुपये कोयला घोटाले में भी प्रवर्तन निदेशालय ने नौकरशाहों, व्यापारियों, राजनेताओं और बिचौलियों को जेल भेज दिया।
- आरटीई घोटाला- शिक्षा के अधिकार अधिनियम यानी आरटीई में भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर एफआइआर के निर्देश दिए गए हैं।
- महादेव एप घोटाला- 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के बताए जा रहे महादेव एप घोटाले में संलिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई जारी है।
- जमीन घोटाला- जमीन खरीदी-बिक्री में व्याप्त अनियमितताओं और धोखाधड़ी पर जांच चल रही है। इसे रोकने के लिए सुगम एप लांच किया है।

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