CG Ki Baat: सांसदों की प्रेशर पॉलिटिक्स.. क्या है एजेंडा..किसको रिस्क? सांसद बृजमोहन अग्रवाल सीएम को पत्र लिखकर कौन सा सियासी मैसेज दे रहे हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट
CG Ki Baat: सांसदों की प्रेशर पॉलिटिक्स.. क्या है एजेंडा..किसको रिस्क? सांसद बृजमोहन अग्रवाल सीएम को पत्र लिखकर कौन सा सियासी मैसेज दे रहे हैं? देखिए पूरी रिपोर्ट
CG Ki Baat Photo Credit: IBC24
- रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने CM को हफ्तेभर में 2 पत्र लिखकर सार्वजनिक रूप से दबाव बनाया।
- राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह पर सरकारी बंगले पर कब्जे का आरोप।
- विपक्ष ने इसे BJP के भीतर संवादहीनता का मामला बताया, तो सत्ता पक्ष ने बताया लोकतांत्रिक प्रक्रिया।
रायपुर: CG Ki Baat प्रदेश के सियासी गलियारे में चर्चा है, बहस है कि सत्ता पक्ष के दो सांसदों ने अपनी ही सरकार पर दबाव वाला सियासी दांव आजमाया है। एक तरफ पूर्व मंत्री और सीनियर मोस्ट नेता, रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने एक पखवाड़े में दो बार सीएम को पत्र लिखा, वो भी सार्वजनिक तौर पर यानि की सांसद जी चाहते हैं कि उनका पत्र ना केवल सरकार तक पहुंचे बल्कि मीडिया और आमजन तक भी पहुंचे। दूसरी ओर बीजेपी के ही राज्यसभा सांसद ने रायपुर स्थित SSP बंगले पर एक तरह से कब्जा कर सरकार को थोड़ा असहज कर दिया है। विपक्ष इन हालात पर सवाल उठा रहा तो सत्ता पक्ष सफाई की मुद्रा में है।
CG Ki Baat क्या डबल इंजन सरकार में बीजेपी के स्थानीय सांसद को बात करने के लिए, अपनी ही पार्टी की सरकार के मुखिया को पत्र लिखना पड़ रहा है? ये सवाल उठा है रायपुर से भाजपा सांसद, पूर्व मंत्री वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने अग्रवाल ने हफ्ते भर में CM विष्णु देव साय को दो अलग-अलग मुद्दों पत्र लिखे। पहला पत्र- बर्खास्त BEd सहायक शिक्षकों की बहाली की मांग को लेकर लिखा गया। जबकि दूसरा पत्र- राजधानी रायपुर में सुरक्षा पर चिंता जताते हुए, जल्द पुलिस बल बढ़ाने की मांग करते हुए लिखा गया। पत्र में बृजमोहन अग्रवाल ने कहा की रायपुर तेजी से विकसित होने वाला शहर है, सो बेहतर सुरक्षा और बेहतर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए सुरक्षा बल बढ़ाया जाए, इतना ही नहीं बृजमोहन ने अपने लेटर में लिखा कि लोकतंत्र में कमियों को इंगित कर काम करना भाजपा की परंपरा है, मुख्यमंत्री जी कामों में बहुत व्यस्त रहते हैं, इसलिए पत्र लिखकर बेहतर व्यवस्था की मांग करते हैं।
हफ्ते भर में सत्तापक्ष के सांसद के अपनी ही सरकार के CM को 2-2 पत्र को विपक्ष बीजेपी के भीतर तालमेल और कम्युकेशन की कमी बताते हुए निशाना साध रही है। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत ने इसे पत्र नहीं बीजेपी के भीतर लेटर बम बताया। वहीं, सत्ता पक्ष ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया कि बृजमोहन अग्रवाल वरिष्ठ नेता हैं, सरकार उनके सुझावों पर विचार करेगी ।
दूसरी तरफ, बीजेपी के राज्यसभा सांसद का एक सरकारी बंगले पर कब्जा भी सुर्खियों में है। दरअसल, राजधानी रायपुर में SSP कार्यालय की पुरानी बिल्डिंग को तोड़कर, नई बिल्डिंग बनाने तक, PWD ने अस्थाई तौर पर पुराने सिविल सर्जन बंगला अलॉट किया, लेकिन उस बंगले पर बीजेपी के राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह ने कब्जा कर रखा है। सवाल पूछे जाने पर PWD मंत्री ने कहा कि जल्द ही सरकार इस पर स्थिति साफ करेगी।
कुल मिलाकर सवाल ये है कि क्या सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधों की अपनी ही पार्टी की प्रदेश सरकार के साथ कम्युनिकेशन का जरिया सार्वजनिक मंच या पत्र होना सामान्य घटना है? क्या विपक्ष बेवजह इसमें पॉलिटिकल एंगल ढूंढ रहा है या फिर वाकई डबल इंजन सरकार में कुछ तो है जो पेटपरटी है?

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