शह मात The Big Debate: भूपेश तो हैं.. पर भरोसा नहीं! पायलट का ऐलान.. ‘सामूहिक है कमान’, क्या पायलट का क्लीयर मैसेज CG के नेताओं को क्लेरिटी दे पाया है? देखिए ये वीडियो

भूपेश तो हैं.. पर भरोसा नहीं! पायलट का ऐलान.. सामूहिक है कमान! Who does the Congress Party trust in Chhattisgarh?

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  • Publish Date - September 9, 2025 / 11:57 PM IST,
    Updated On - September 10, 2025 / 12:46 AM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी को किस पर भरोसा है? पार्टी के भीतर फेस की रेस क्या प्रभारी के दो टूक बयान से खत्म हो पाएगी? वैसे ऐसा लगता तो नहीं है, क्योंकि जब-जब पार्टी का कोई सीनियर कोई सलाह या नसीहत देता है, वो खुद एक मुद्दा बन जाता है। प्रदेश में एक बार फिर ऐसा होता दिख रहा है। राजधानी आए प्रदेश कांग्रेस प्रभारी छत्तीसगढ़ कांग्रेस में नेतृत्व के घमासान पर विराम लगाने की कोशिश करते हैं तो दूसरी तरफ पार्टी के एक और सीनियर, पूर्व मंत्री डॉ शिव डहरिया, बिलासपुर सम्मेलन के मंच पर फिर से पार्टी कार्यकर्ताओं को खुले मंच से चमचा बताते देखे-सुने गए। हालांकि डहरिया ने इस बार कार्यकर्ताओं को पार्टी के लिए वफादार चमचा बताया। इसे फौरन ही बीजेपी ने लपका और मुद्दा बनाते हुए, लगे हाथ पोस्टर जारी कर कांग्रेस और कांग्रेसियों पर तंज कस दिया…विरोधी तो छोड़िए सवाल ये है कि क्या कांग्रेसी खुद अपने प्रभारी सचिन पायलट के सामूहिक नेतृत्व वाली नसीहत पर लंबा टिक पाएंगे?

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छत्तीसगढ़ आते ही प्रदेश कांग्रेस प्रभारी ने फिर साफ किया और दो टूक कहा कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में ही अगला चुनाव लड़ेगी। सवाल ये है कि सचिन पायलट को बार-बार ये साफ क्यों करना पड़ रहा है? कारण साफ है कि मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने के बजाय प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा इस पर अक्सर अलग-अलग सुर सुनाई पड़ते हैं। कभी चरणदास महंत, टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कहते हैं तो कभी रविंद्र चौबे जनता की मांग पर भूपेश बघेल को नेतृत्व सौंपने की बात कहते हैं। ऐसे बयान से हर बार पीसीसी चीफ दीपक बैज असहज नजर आते हैं क्योंकि बैज की तारीफ खुद राहुल गांधी कर चुके हैं। पिछले दिन चौबे के बयान पर मचे बवाल के बाद भाजपा ने फिर कांग्रेस को गुटों में उलझी,चमचों से भरी पार्टी कहकर तंज कसा…जिस पर सचिन पायलट ने विराम लगाने की कोशिश की। पायलट ने बयान का पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने भी समर्थन किया।

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इधर, बीजेपी बार-बार दोहरा रही है कि कांग्रेस चाहे जिसकी अगुआई में किसी भी नेतृत्व में लड़े कुछ नहीं होगा। कांग्रेस का हर बड़ा नेता हारा और पिटा हुआ है। दरअसल, 15 साल सत्ता से दूर रहने के बाद 2018 में पार्टी ने भूपेश बघेल के नेतृत्व में ऐतिहासिक जीत हासिल कर मजबूत सरकार बनाई, लेकिन उस जीत में टीएस बाबा और बाकी सीनियर्स का साथ आना अहम रहा नतीजा 5 साल तक ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले पर दिग्गजों के टकराव ने पार्टी को किरकिरी कराई। 2023 में सत्ता से बाहर होने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस में पहले दिन से नेतृत्व पर सवाल उठाए जाते रहे। जमीनी कार्यकर्तो तो छोड़िए सीनियर नेता तक, भूपेश या टीएस बाबा को नेतृत्व सौंपने की बात छेड़ते नजर आए। अब सवाल ये है कि क्या पायलट का क्लीयर मैसेज, नेताओं को क्लेरिटी दे पाया है?क्योंकि सीनियर्स की नसीहत पर कांग्रेसी नेताओं के रिएक्शन्स किसी से छिपे नहीं हैं ?