शह मात The Big Debate: ‘धर्मरक्षकों’ को पुरस्कार..धर्मांतरण पर नई तकरार! क्या आने वाले वक्त में धर्मांतरण ही सियासत की धुरी बनेगा? देखिए पूरी रिपोर्ट

Chhattisgarh News: 'धर्मरक्षकों' को पुरस्कार..धर्मांतरण पर नई तकरार! क्या आने वाले वक्त में धर्मांतरण ही सियासत की धुरी बनेगा? देखिए पूरी रिपोर्ट

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  • Publish Date - July 23, 2025 / 10:40 PM IST,
    Updated On - July 23, 2025 / 10:46 PM IST

Chhattisgarh News | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • राज्य सरकार ने की "घर वापसी" के नायकों के नाम पर पुरस्कार देने की घोषणा
  • कांग्रेस ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए

रायपुर: Chhattisgarh News राज्य सरकार ने ये इशारा किया है कि घर वापसी के स्थापित नायक दिलीप सिंह जूदेव के साथ बस्तर में देवतुल्य माने जाने वाले राजा प्रवीरचंद भंजदेव के नाम पर नए पुरस्कार दिए जाएंगे। ये पुरस्कार उन्हें मिलेंगे, जो घर वापसी के अभियान में जुटे हुए हैं। तो क्या इसके जरिए धर्म के मोर्चे पर लड़ी जा रही राजनीतिक लड़ाई का दूसरा चरण शुरू होने जा रहा है? क्या हिंदुत्व के रणबांकुरों में नया जोश भरने का ये उपक्रम है? सच तो ये है कि धर्मांतरण की धधक से झुलसते सामाजिक ताने-बाने की फिक्र कोई करे न करे पर सियासी तरतीबों के तंदूर में अवसरवादी रोटी जरूर सब सेंकना चाहते हैं। ये किसी एक दल या एक व्यक्ति की बात नहीं है। जाहिर है सत्ता के शतरंज में जब रंज और रंजिश की गोटियां सजती हैं तो नजर, नजरिया और नतीजे को भांपकर ही शह-मात का खेल खेला जाता है। बात थोड़ी घुमावदार हो गई है। पर आज हम इस सियासी पहेली का उधेड़बुन करने की कोशिश जरूर करेंगे। देखते हैं हासिल क्या होता है?

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Chhattisgarh News नक्सलवाद के बाद प्रदेश के आदिवासी अंचल की सबसे बड़ी समस्या रही है धर्मांतरण जिसे रोकने पार्टियां सख्त कानून बनाने की पैरवी करते रहे हैं। किस सरकार के वक्त धर्मांतरण ज्यादा हुआ, किसने धर्मांतरण करने वालों को सरंक्षण दिया इससे बाद अब प्रदेश में धर्मांतरण रोकने वालों के मान-अपमान पर बहस छिड़ गई है। इस बहस की शुरूआत हुई। डिप्टी सीएम अरुण साव के ऐलान से साव ने बताया कि छग सरकार, अपने वादे के मुताबिक दिलीप सिंह जूदेव और बस्तर महाराज प्रवीर चंद भंजदेव के नाम पर उन व्यक्तियों या संस्थाओं को सम्मानित करेगी जो प्रदेश में धर्मांतरण रोकने के लिए सतत काम कर रहे हैं।

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सत्तापक्ष के इस ऐलान पर कांग्रेस ने फौरन पलटवार किया। पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने तंज कसते हुआ कहा कि दिलीप सिंह जूदेव का सम्मान बीजेपी ने जीते जी नहीं किया। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी धर्मांतरण के मुद्दे पर एक्चुअली फेल है, बस धर्मांतरण के नाम पर एक विशेष धर्म और जाति के पीछे पड़ी है।

दरअसल, नए अवार्ड के पीछे बीजेपी का मकसद यही है कि वो धर्मांतरण रोकने वालों को प्रोत्साहित करे। संबंधित व्यक्ति या संस्थाएं आगे और बेहतर काम कर सकें। हालांकि, कांग्रेस इससे इत्तेफाक नहीं रखती। सच ये भी है कि कांग्रेस ने सत्ता में रहते इसे समस्या को अक्सर खारिज करने की कोशिश की, या फिर धर्मांतरण रोकने केंद्र से कड़े कानून बनाने की मांग करती रही बीजेपी भी बार-बार धर्मांतरण पर सीरियस कानून बनाने की पैरवी करती रही है। पर कानून का ड्राफ्ट तक सामने नहीं आ सका है। सवाल ये है कि क्या बस्तर महाराज और स्व जूदेव के नाम पर सम्मान मात्र से समाधान मिल जाएगा? सवाल ये भी सम्मान के ऐलान पर कांग्रेस को ऐतराज क्यों?

दिलीप सिंह जूदेव और प्रवीरचंद भंजदेव कौन थे?

दिलीप सिंह जूदेव "घर वापसी" अभियान के प्रमुख चेहरे थे, जिन्होंने आदिवासी इलाकों में धर्मांतरण का विरोध किया। वहीं, राजा प्रवीरचंद भंजदेव बस्तर के राजा थे और आदिवासियों के हितों के लिए संघर्ष करते हुए शहीद हुए माने जाते हैं।

ये नए पुरस्कार किसे और क्यों दिए जाएंगे?

राज्य सरकार उन व्यक्तियों या संगठनों को यह पुरस्कार देगी जो छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण रोकने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

कांग्रेस को इन पुरस्कारों पर आपत्ति क्यों है?

कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी धर्मांतरण के नाम पर सिर्फ एक विशेष धर्म और जाति को निशाना बना रही है और असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है।