Ratan Thiyam Passes Away: मशहूर कलाकार का निधन, लंबे समय से थे बीमार, अस्पताल में ली अंतिम सांस

Ratan Thiyam Passes Away: मशहूर कलाकार का निधन, लंबे समय से थे बीमार, अस्पताल में ली अंतिम सांस

  •  
  • Publish Date - July 23, 2025 / 09:31 PM IST,
    Updated On - July 23, 2025 / 09:34 PM IST

Ratan Thiyam Passes Away | Photo Credit: IBC24

HIGHLIGHTS
  • भारतीय रंगमंच के दिग्गज कलाकार रतन थियम का निधन
  • लंबे से चल रहे थे बीमार
  • 77 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

इंफाल: Ratan Thiyam Passes Away भारतीय रंगमंच के दिग्गज कलाकार रतन थियम का 77 साल की उम्र में यहां के एक अस्पताल में निधन हो गया। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। थियम को पारंपरिक कला रूपों को समकालीन कला के साथ मिश्रित करने के लिए जाना जाता था।

Read More: Police Viral Video: ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में धुत मिला आरक्षक, श्रद्धालुओं से की बदसलूकी, वीडियो वायरल होते ही एसपी ने तत्काल किया सस्पेंड

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘थियम लंबे समय से बीमार थे। मंगलवार देर रात लगभग डेढ़ बजे क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान में उनका निधन हो गया।’’ वर्ष 1989 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित थियम पारंपरिक मणिपुरी कला रूपों को समकालीन कला, नवाचार और काव्यात्मक कथाओं के साथ मिलाकर नए स्वरूप में पेश करने के लिए जाने जाते थे।

थियम ने इंफाल स्थित ‘कोरस रिपर्टरी थियेटर’ की स्थापना की और 80 के दशक में कुछ समय के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के निदेशक के रूप में भी कार्य किया। थियम की कृतियों में ‘चक्रव्यूह’, ‘उत्तर प्रियदर्शी’, ‘उरुभंगम’ और ‘अंधा युग’ शामिल हैं। उनकी ‘चिंगलोन मपन तंपक अमा’ (नौ पहाड़ियाँ एक घाटी) मणिपुर में उग्रवाद की कहानी को प्रतीकात्मक रूप से बयां करती है।

Read More: Chhattisgarh News: “हर दिव्यांग बनेगा सशक्त और आत्मनिर्भर”, सीएम विष्णु देव साय का बड़ा संकल्प, समीक्षा बैठक में दिए पेंशन व उपकरण वितरण में तेजी के निर्देश

उन्होंने समकालीन संदेश देने के लिए अपने नाटकों में पारंपरिक मणिपुरी गीत, नृत्य और यहां तक कि ‘मार्शल आर्ट’ का भी इस्तेमाल किया। थियम ने यह कार्य ‘थिएटर ऑफ रूट्स’ आंदोलन के अग्रणी व्यक्तियों में से एक के रूप में किया था। इसके समर्थकों का उद्देश्य ‘मूल’ की ओर लौटकर एक ऐसी भारतीय नाट्य शैली का निर्माण करना था जो ब्रिटिश काल के दौरान स्थापित पश्चिमी रंगमंच से भिन्न हो।

उन्हें 1987 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा अकादमी पुरस्कार, 1989 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, 1997 में फ्रांस द्वारा ला ग्रांडे मेडेल तथा 2008 में जॉन डी रॉकफेलर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। थियम ने 2001 में नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) के साथ संघर्ष विराम बढ़ाने के केंद्र के फैसले के विरोध में पद्मश्री पुरस्कार वापस कर दिया था।

Read More: Fake embassy busted in Ghaziabad: लग्जरी कार और आलिशान जिंदगी.. पुलिस ने किया फर्जी दूतावास का भंडाफोड़, किराये के मकान में हो रहा था संचालित

थियम का जन्म 20 जनवरी, 1948 को हुआ था और उन्होंने मणिपुरी नृत्य और चित्रकला की शिक्षा ली थी। उन्होंने वर्ष 1976 में ‘कोरस रिपर्टरी थिएटर’ की स्थापना की और इसके जरिये दुनिया के विभिन्न देशों की यात्रा की और अपने नाटकों के जरिये प्रशंसा प्राप्त की। उनके निधन पर देश भर से विभिन्न हस्तियों और संगठनों ने शोक संवेदना व्यक्त की है। मणिपुर सरकार के साथ-साथ कम से कम तीन राज्यों – असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

मणिपुर सरकार ने एक बयान में कहा, ‘‘हम ‘पद्मश्री’ पुरस्कार विजेता और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार विजेता रतन थियम के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हैं, जो भारतीय रंगमंच की एक प्रमुख हस्ती और मणिपुर के सांस्कृतिक प्रतीक थे।’’ राज्य में इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है। पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने भी थियम के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि उनके कार्यों में मणिपुर की आत्मा बसती थी।

 

सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं गहरे दुख के साथ भारतीय रंगमंच के एक सच्चे प्रकाशपुंज और मणिपुर के एक सम्मानित सपूत रतन थियम के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं।’’ पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, ‘‘अपनी कला के प्रति उनके अटूट समर्पण, उनकी दूरदर्शिता और मणिपुरी संस्कृति के प्रति उनके प्रेम ने न केवल रंगमंच की दुनिया को बल्कि हमारी पहचान को भी समृद्ध किया। उनके काम में मणिपुर की आत्मा बसती है…।’’

मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा कि थियम एक दूरदर्शी व्यक्ति थे जिन्होंने समकालीन कला को मणिपुर की सांस्कृतिक आत्मा के साथ मिलाकर भारतीय रंगमंच को नया रूप दिया। संगमा ने कहा, ‘‘अपनी कला के माध्यम से, उन्होंने न केवल अपनी मातृभूमि की सांस्कृतिक पहचान को नये मुकाम पर पहुंचाया बल्कि भारतीय प्रदर्शन कला के परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी। उनकी विरासत प्रेरणा देती रहेगी।’’

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बनर्जी ने थियम को असली दिग्गज कलाकार बताया जिन्होंने मणिपुरी रंगमंच को वैश्विक मानचित्र पर स्थापित किया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘परंपरा और प्रयोग के उनके अनूठे मिश्रण ने भारतीय प्रदर्शन कलाओं को काफी समृद्ध किया और दुनिया भर में इसकी गूंज सुनाई दी।’’

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘थिएटर फॉर रूट्स आंदोलन के एक अग्रणी प्रकाशपुंज, रतन थियम ने अपना जीवन स्वदेशी रंगमंच और कला परंपराओं को वैश्विक मंच पर लाने के लिए समर्पित कर दिया। पद्म पुरस्कार विजेता, उनकी प्रस्तुतियां प्रतिभा और संदेश, दोनों में समृद्ध थीं।’’ लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने भी थियम के निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।

रतन थियम कौन थे?

रतन थियम मणिपुरी पारंपरिक कला और रंगमंच के दिग्गज कलाकार थे, जिन्होंने पारंपरिक और समकालीन कला को जोड़कर नया रंगमंच निर्माण किया।

रतन थियम को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?

उन्हें पद्मश्री (1989), संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987), फ्रांस का ला ग्रांडे मेडेल (1997) और जॉन डी रॉकफेलर पुरस्कार (2008) जैसे कई सम्मान मिले।

थियम ने कौन-से प्रमुख नाटक प्रस्तुत किए?

उनके प्रमुख नाटकों में ‘चक्रव्यूह’, ‘उत्तर प्रियदर्शी’, ‘उरुभंगम’, ‘अंधा युग’ और ‘चिंगलोन मपन तंपक अमा’ शामिल हैं।