CG Ki Baat | Photo Credit: IBC24
रायपुर: CG Ki Baat छत्तीसगढ़ की साय सरकार, ‘सुशासन तिहार’ मना रही है। जनता की समस्याओं को सीधे एड्रेस करने की इस मुहिम के अपने सियासी मायने भी हैं, लेकिन गुड गवर्नेंस के नरेटिव को मजबूत करने के लिए बीजेपी सरकार का ये अभियान, विपक्ष को खटक रहा है। सवाल ये है कि जनता से जुड़ने के लिए साय सरकार की ये पहल कितनी फायदेमंद होगी?
CG Ki Baat छत्तीसगढ़ में किसी भी पार्टी की सरकार रहे अपनी योजनाओं की जमीनी जानकारी लेने और आम जनों की समस्याओं को जानने के लिए सरकारों के अलग-अलग तरीके रहे हैं और इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की साय सरकार सुशासन तिहार का आयोजन कर रही है। जिसके तहत सभी निकायों और ग्राम पंचायत में आम लोगों से उनकी समस्याओं, शिकायतों और सुझावों को लेकर आवेदन लिए जाएंगे।
जिसका पहला चरण 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चलेगा। पहले दिन ही कई जगहों पर लोगों ने अपनी समस्या से जुड़े आवेदन दिए हैं। दूसरे चरण में इन आवेदनों को संबंधित विभागों को भेजा जाएगा। जिसका निराकरण एक माह के भीतर करना ही होगा।
फिर तीसरे चरण में 8 से 15 ग्राम पंचायत के बीच और निकायों में समाधान शिविर आयोजित किए जाएंगे। यहां खुद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, सभी मंत्री,विधायक-सांसद, विभागीय अधिकारी और जिले ब्लॉक के अधिकारी आम जनों की समस्याओं को सीधे सुनेंगे।
सरकार और बीजेपी का मानना है कि इस अभियान के जरिए सरकार सीधे जनता से जुड़ेगी और इसका लाभ जनता को सीधे तौर पर मिलेगा। जबकि विपक्ष में बैठी कांग्रेस का कहना है कि सुशासन तिहार, कागजों में न होकर धरातल में होना चाहिए और कानून व्यवस्था को दुरुस्त कर, समस्या का समाधान ऑन स्पॉट होना चाहिए।
इससे पहले भी सरकारें जनता की समस्या के निराकरण के लिए अभियान चलाती आई हैं। जब डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री थे तब तत्कालीन सरकार ने ग्राम सुराज अभियान चलाया था। भूपेश बघेल ने भी कांग्रेस सरकार के दौरान भेंट-मुलाकात कार्यक्रम किया था और अब साय सरकार ने सुशासन तिहार के जरिए जनता के सीधे जुड़ने की योजना बनाई है। सरकार, जनता से जुड़ना चाहती है, उनकी समस्या का समाधान जल्द से जल्द करना चाहती है, लेकिन जनता चाहती है कि ये योजना चंद दिनों या कुछ महीनों के लिए न होकर हमेशा रहे ताकि जनता को अपनी समस्या के समाधान के लिए परेशान न हो।