छत्तीसगढ़ के रामेश्वरम रामपाल को भी संवारेगी राज्य सरकार, सुकमा जिले के रामाराम को भी मिलेगी नई सांस्कृतिक पहचान | CG government will also promote Rameswaram Rampal of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के रामेश्वरम रामपाल को भी संवारेगी राज्य सरकार, सुकमा जिले के रामाराम को भी मिलेगी नई सांस्कृतिक पहचान

छत्तीसगढ़ के रामेश्वरम रामपाल को भी संवारेगी राज्य सरकार, सुकमा जिले के रामाराम को भी मिलेगी नई सांस्कृतिक पहचान

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:21 PM IST, Published Date : August 3, 2020/5:36 pm IST

रायपुर: लंका कूच से पहले जिस तरह रामेश्वरम् में भगवान श्रीराम ने शिवलिंग स्थापित कर पूजा-अर्चना की थी, उसी तरह उत्तर से दक्षिण भारत में प्रवेश से पहले उन्होंने छत्तीसगढ़ के रामपाल नाम की जगह में भी शिवलिंग स्थापित कर आराधना की थी। रामपाल बस्तर जिले में स्थित है, जहां प्रभु राम द्वारा स्थापित शिवलिंग आज भी विद्यमान है। दक्षिण प्रवेश से पूर्व प्रभु राम ने रामपाल के बाद सुकमा जिले के रामाराम में भूदेवी की आराधना की थी। छत्तीसगढ़ शासन ने अब दोनों स्थानों को भी अपने नये पर्यटन सर्किट में शामिल कर उनके सौंदर्यीकरण और विकास की योजना तैयार कर ली है।

Read More: नाग पंचमी को ग्रामीणों ने नाग को मार डाला, दो दिन के भीतर नागिन ने 26 लोगों को डसा, एक की मौत

छत्तीसगढ़ का नया पर्यटन सर्किट बढ़िया सड़क मार्ग समेत तमाम अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ उन स्थानों को आपस में जोड़ेगा, जहां से प्रभु श्रीराम अपने वनवास के दौरान या तो गुजरे थे या फिर प्रवास किया था। प्रदेश में प्रभु श्रीराम के वन गमन पथ पर पड़ने वाले 75 स्थानों को चिन्हिंत किया गया है, इनमें से पहले चरण में उत्तर में स्थित कोरिया से लेकर दक्षिण में स्थित सुकमा के रामाराम तक 9 स्थानों का चयन किया गया है। इन स्थानों के विकास और सौंदर्यीकरण के लिए भूपेश बघेल सरकार 137 करोड़ 45 लाख रुपए खर्च करने जा रही है। दिसंबर माह में इस परियोजना की शुरुआत रायपुर जिले के चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण एवं विस्तार कार्य के शिलान्यास के साथ की जा चुकी है।

Read More: रांची: सीएम हाउस के 17 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिर से कराएंगे जांच

भगवान राम द्वारा स्थापित शिवलिंग वाले स्थान रामपाल की दूरी बस्तर जिला मुख्यालय जगदलपुर से 10 किलोमीटर है। यह शिवलिंग के रामायणकालीन होने की पुष्टि विद्वानों ने और शोध संस्थानों ने की है। सुकमा जिले का रामाराम छत्तीसगढ़ की सीमा के निकट स्थित है, जहां से आंध्रप्रदेश और तेलंगाना की भी सीमाएं निकट ही हैं। रामाराम के नये पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकास के साथ ही सुकमा जिले को नयी पहचान भी मिलेगी। नक्सल घटनाओं की वजह से बस्तर संभाग के इन जिलों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान अब तक उभर कर सामने नहीं आ पाई थी। पर्यटन विकास के जरिये छत्तीसगढ़ शासन का उद्देश्य इन जिलों में रोजगार की नयी संभावनाएं निर्मित करना भी है। रामायणकालीन छत्तीसगढ़ में बस्तर जिले को दंडकारण्य के रूप में जाना जाता था, वनवास के दौरान श्रीराम ने यहां काफी समय व्यतीत किया था।

Read More: Watch Video: भूमि पूजन से पहले सरयू तट पर गूंजा ‘जय श्रीराम’, सावन के ​आखिरी सोमवार को राम की पौड़ी में हुआ हवन