छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से बच्चे हो रहे सुपोषित, 67 हजार से अधिक बच्चे अब कुपोषण से मुक्त | Children are getting well-educated due to Chief Minister's nutrition campaign in Bastar More than 67 thousand children are now free from malnutrition

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से बच्चे हो रहे सुपोषित, 67 हजार से अधिक बच्चे अब कुपोषण से मुक्त

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से बच्चे हो रहे सुपोषित, 67 हजार से अधिक बच्चे अब कुपोषण से मुक्त

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:00 PM IST, Published Date : December 24, 2020/8:16 am IST

जगदलपुर।   मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से बच्चे लाभान्वित होकर सुपोषित हो रहे है। कुपोषित बच्चें और एनीमिया पीड़ित महिलाएं अधिकांशतः आदिवासी और दूरस्थ वनांचलों के निवासी रहे है। राज्य सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लेते हुए 02 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी जयंती के अवसर पर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई है। इस अभियान में प्रदेश को कुपोषण और एनीमिया से मुक्त करने की रणनीति तैयार की गई है।
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योजना शुरू होने के समय वजन त्यौहार के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में लगभग 4 लाख 92 हजार बच्चे कुपोषित थे। इनमें से 67 हजार से अधिक बच्चे अब कुपोषण मुक्त हो गए हैं इस तरह कुपोषित बच्चों की संख्या में लगभग 13.79 प्रतिशत की कमी आई है। योजनान्तर्गत प्रदेश के 51 हजार 455 आंगनबाड़ी केंद्रों के लगभग 25 लाख हितग्राहियों को घर-घर जाकर रेडी-टू-ईट का वितरण किया गया। लॉकडाउन के दौरान 2.84 लाख बच्चों एवं महिलाओं को सूखा राशन (चावंल, दाल, सब्जी) एवं 2.36 लाख बच्चों एवं महिलाओं को पौष्टिक आहार का वितरण किया गया। एनीमिया प्रभावितों को आयरन, फोलिक एसिड, कृमि नाशक गोलियां दी जाती है।

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विकासखंड बकावंड के ग्राम भेजरीपदर निवासी  गीता और  किरण कुमार के घर 04 नवम्बर 2020 को खुशी का माहौल था क्योंकि इस दिन उनके घर पहले बच्चे दिपेश कुमार का जन्म हुआ था। महारानी अस्पताल जगदलपुर में प्रसव हुआ, जन्म के समय दिपेश का वजन 1.700 कि. ग्रा था जिसके कारण दिपेश को गंभीर कुपोषित बच्चा माना गया। महिला एवं बाल विकास विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा सतत् गृह भेंट एवं समझाइश से जच्चा-बच्चा के विशेष देखभाल से दोनों धीरे धीरे स्वस्थ्य होने लगे। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्र भेजरीपदर से दिपेश कुमार की मां को सूखा राशन दिया जाने लगा। सूखा राशन में शामिल दाल, चावल, आटा, दलिया और रागी के साथ-साथ अंडा एवं मूंगफली गुड़ के लड्डू दिए गए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के लगातार गृहभेंट एवं परिवार द्वारा जच्चा-बच्चा के देखभाल के फलस्वरूप ढाई महीने पश्चात बच्चा सामान्य श्रेणी में हैं। आज की स्थिति में दिपेश कुमार का वजन लगभग 4 किलोग्राम है।