गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन का इस्तीफा, हॉस्टल में छेड़छाड से परेशान जूनियर डॉक्टरों ने खोला था मोर्चा

गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन का इस्तीफा, हॉस्टल में छेड़छाड से परेशान जूनियर डॉक्टरों ने खोला था मोर्चा

गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन का इस्तीफा, हॉस्टल में छेड़छाड से परेशान जूनियर डॉक्टरों ने खोला था मोर्चा
Modified Date: November 29, 2022 / 08:24 pm IST
Published Date: October 8, 2019 2:52 pm IST

भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन अरुणा कुमार ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि अरुणा कुमार ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते ऐसा फैसला लिया है। बता दें कि कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों ने तीन दिन से डीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बताया जा रहा है कि गर्ल्स हॉस्टल में छेड़छाड़ और लूट की घटना से यहां के जूडा परेशान थे। इसी के चलते उन्होंने डीन के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया और वे डीन को हटाने की मांग कर रहे थे।

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गौरतलब है कि बीते दिनों एक युवक ने गर्ल्स हॉस्टल में घुसकर एक छात्रा पर पेंचकस टिका दिया और उसे सरेआम कपड़े उतारने को कहने लगा। छात्रा तो जैसे-तैसे वहां से बच निकली, लेकिन गांधी कॉलेज हास्टल के लिए यह कोई नई बात नहीं थी। हमलावर पीड़िता को दो स्मार्टफोन और 15000 रुपए नकद का पहले ही नुकसान पहुंचा चुके थे। इस पूरे मामले में एक बात जो और भी चौंकाती है, वह यह है कि इसी कमरे में एकबार पहले भी पीड़िता चोरी का शिकार बन चुकी है लेकिन पुलिस ने मामला नहीं दर्ज किया।

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वहीं, जूनियर डॉक्टर्स की मानें तो हॉस्टल में बीते 6 महीने में चोरी की करीब एक दर्जन घटनाएं हो चुकी हैं। करीब 8 बार दो पहिया वाहन चोरी हो चुके हैं। हर बार प्रबंधन को बताया गया लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। एच-ब्लॉक के हॉस्टल के बाहर की सड़क पर 6 से ज्यादा बार मेडिकल छात्राओं से छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें हुईं, हर बार प्रबंधन से शिकायत की गई लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिससे अब ये घटनाएं लगातार बढ़ रही है।

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कई घटनाओं के बाद भी नींद में प्रशासन
गांधी मेडिकल कॉलेज के सुरक्षा इंतज़ामों को लेकर मेडिकल कॉलेज की छात्राओं में नाराजगी है। मेडिकल कॉलेज में ना तो सुरक्षा गार्ड हैं और ना ही सीसीटीवी कैमरे, हॉस्टल के बाहर के कमरों और कैंपस में लाइट की व्यवस्था भी नहीं है। वहीं एच ब्लॉक के पीछे की दीवार बहुत छोटी है। ऊंचाई कम होने की वजह से बस्ती के पीछे के लोग आसानी से दीवार पार कर हॉस्टल में आ जाते हैं। अकसर पेड़ के सहारे भी असामाजित तत्व हॉस्टल में एंट्री ले लेते हैं। खिड़कियों में ग्रिल ना होने के चलते भी कमरों में घुसना आसान हो जाता है।

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लेखक के बारे में

"दीपक दिल्लीवार, एक अनुभवी पत्रकार हैं, जिन्हें मीडिया इंडस्ट्री में करीब 10 साल का एक्सपीरिएंस है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक ऑनलाइन समाचार वेबसाइट से की थी, जहां उन्होंने राजनीति, खेल, ऑटो, मनोरंजन टेक और बिजनेस समेत कई सेक्शन में काम किया। इन्हें राजनीति, खेल, मनोरंजगन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल और बिजनेस से जुड़ी काफी न्यूज लिखना, पढ़ना काफी पसंद है। इन्होंने इन सभी सेक्शन को बड़े पैमाने पर कवर किया है और पाठकों लिए बेहद शानदार रिपोर्ट पेश की है। दीपक दिल्लीवार, पिछले 5 साल से IBC24 न्यूज पोर्टल पर लीडर के तौर पर काम कर रहे हैं। इन्हें अपनी डेडिकेशन और अलर्टनेस के लिए जाना जाता है। इसी की वजह से वो पाठकों के लिए विश्वसनीय जानकारी के सोर्स बने हुए हैं। वो, निष्पक्ष, एनालिसिस बेस्ड और मजेदार समीक्षा देते हैं, जिससे इनकी फॉलोवर की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। काम के इतर बात करें, तो दीपक दिल्लीवार को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है। वो हेल्दी वर्क लाइफ बैलेंस करने में यकीन रखते हैं।"