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गौठानों की जमीनी हकीकत, Reality Check में खुल गई पोल, कहीं गोठान ही नहीं हैं, तो ​कही व्यवस्था बेहाल 

गौठानों की जमीनी हकीकत, Reality Check में खुल गई पोल, कहीं गोठान ही नहीं हैं, तो ​कही व्यवस्था बेहाल 

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:36 PM IST, Published Date : June 13, 2021/4:18 pm IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी के तहत छत्तीसगढ़ के तमाम जिलों के ग्राम पंचायतों में आदर्श गौठान का निर्माण तो कराया गया है। लेकिन गौठान की स्थिति अच्छी है या बदहाल? ये जानने के लिए IBC24 की टीम ने गौठान का निरीक्षण किया। रियलिटी चेक में हमने पाया कि कहीं तो गोठान ही नहीं हैं, और जहां हैं वहां की व्यवस्था बेहाल है।

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एक साल पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गोठान योजना की शुरुआत की थी। बड़े जोर- शोर से शुरू हुई इस योजना के तहत, गोठानों का निर्माण कराया जाना था। प्रदेश में गोठान तो बहुत बने लेकिन उनके हालात क्या हैं? इसका हमने रियलिटी टेस्ट किया। सबसे पहले हम राजिम पहुंचे, जहां के अभनपुर के कुर्रा गांव में 5 एकड़ की जमीन पर गोठान बनाया जाना था, लेकिन यहां अभी तक फेंसिग और मुरुम ही बिछाई गई है। इलाके के मवेशी खुले में घूम रहे हैं, जो लोगों की परेशानी का सबब बने हुए हैं और ना ही वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम ही शुरु हो पाया है। सरपंच के मुताबिक अभी तक सरकार से गोठान के लिए पैसे नहीं मिले हैं, इसलिए काम बेहद सुस्त तरीके से चल रहा है।

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अब आपको बालोद जिले के कुसुमकसा गांव के आदर्श गोठान का हाल बताते हैं। यहां लाखों की लागत से गोठान का निर्माण तो कराया गया लेकिन यहां मवेशी नहीं रहते। गोठान के बाहर या गांवों में घूमते रहते हैं। गोठान में चारा काटने की मशीन भी लगी थी, लेकिन इसका कोई इस्तेमाल नहीं। एक गोठान तो ऐसा भी था जहां ताला लटका हुआ था। बताया गया कि ज्यादातर गौठानों में सिर्फ गोबर खरीदी की जाती है, मवेशी नहीं आते।

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सरगुजा जिले के सीतापुर जनपद पंचायत के सोनतराई में आदर्श गोठान बनाया गया है, यहां के आदर्श गोठान में तमाम वो सुविधाएं हैं जो गोठान की शोभा बढ़ाती हैं। लेकिन यहां के गोठान में सब्जियां उगाई गई हैं, ऐसे में यहां कोई मवेशी को नहीं लाता। इसलिए मवेशी गांव और शहर के चौक-चौराहों पर मुसीबत खड़ी करती है। यहां पीने के लिए बोर और सोलर पैनल की व्यवस्था है साथ ही वर्मी कंपोस्ट खाद रखने के लिए शेड भी बना हुआ है। सुविधाएं सारी हैं लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा।

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रियलिटी चेक में साफ नजर आता है कि कहीं व्यवस्था ही नहीं है और कही व्यवस्था है भी तो उसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। यानि गोठान में लापरवाही और अव्यवस्था का आलम है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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गोठानों के रियलिटी चेक में एक के बाद एक सच्चाई सामने आ रही है। कहीं कीचड़ फैला है तो कहीं मवेशियों के लिए शेड ही नहीं बने हैं। बारिश का मौसम शुरू होने की वाला है, ऐसे में यहां के हालात क्या होंगे आप अंदाजा लगा सकते हैं। अब आपको कवर्धा के गोठान का हाल बताते हैं। इस जिले में 307 गोठान बनाए गए हैं, जिसमें से 200 से अधिक गोठानों पर गोबर खरीदी की जाती है। यहां के गोठानों के हालत बेहद खस्ता है, यहां ना तो चारा है और ना ही चारागाह। मवेशियों के खड़े होने की जगह पर कीचड़ से सनी हुई है। सोचिए इन जगहों पर अगर मवेशी रहेंगे तो क्या होगा? इतना ही नहीं गोठानों का शेड भी उड़ चुका है। बारिश के मौसम में यहां के हालात बेहद खराब हो सकते हैं, क्योंकि कीचड़ और ज्यादा होगा। हालांकि इस गोठान में 18 हजार क्विंटल वर्मी खाद का उत्पादन किया गया है।

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अब आपको बलरामपुर जिले के आदर्श गोठान गांव गोपालपुर का हाल बताते हैं, यहां के हालात भी ठीक नजर नहीं आते। ना चारे की व्यवस्था है, ठीक से रुकने की। गर्मी और बारिश के बचाव के लिए मवेशियों के लिए शेड बनाना था लेकिन वहां भी महज खाना पूर्ति की गई है। मवेशियों के लिए खाने का उचित इंतजाम नहीं है। पीने के पानी के इंतजाम भी नाकाफी नजर आ रहे हैं। स्थानीय लोगों और सरपंच भी मानते हैं कि यहां के हालात खस्ता है। 

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अब आपको कुछ और गौठानों का हाल बताते हैं, क्योंकि भीषण गर्मी के बाद बारिश का मौसम भी आने ही वाला है। ऐसे में गोठानों में इसे लेकर क्या इंतजामात हैं।अब तक आपने राजिम, बालोद, सीतापुर, कवर्धा, बलरामपुर के गौठानों का हाल जाना। अब हमारी टीम छत्तीसगढ़ के सबसे स्वच्छ शहर अंबिकापुर के गौठान पहुंची। स्वच्छता में हमेशा से अव्वल रहने वाले अंबिकापुर शहर के गौठान की तस्वीर बहुत चौंकाने वाली है। यहां के गौठानों में न तो मवेशियों को रखने का कोई इंतजाम दिखा और न ही गोबर को व्यवस्थित और सुरक्षित रखने की कोई व्यवस्था। इधर मॉनसून ने दस्तक दे दी है मगर गौठानों में गोबर और खाद खुले में पड़े हैं। ऐसे में बारिश में इसके बहने और बर्बाद होने की आशंका बढ़ गई है।

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अब आपको बस्तर के चित्रकोट में गौठान का हाल बताते हैं। इस गौठान को बने एक साल ही हुए हैं मगर एक साल में ही गौठान अपनी बेहाली के आंसू रो रहा है, यहां पशुओं के लिए न चारा है ना पानी की कोई व्यवस्था। निर्माण के नाम इस गौठान में एक मात्र शेड बनाई गई है, जिसका हाल क्या है आप इन तस्वीरों को देख कर समझ सकते हैं। चारा काटने वाली मशीन जंग खा रही है और गौठान की देख रेख करने वाला कोई व्यक्ति नहीं मौजूद नहीं है।

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गौठानों का रियलिटी चेक करने हमारी टीम बिलासपुर के नेवरा स्तिथ गौठान में पहुंची। एक साल पहले बड़े ताम झाम के साथ प्रशासन की ओर से इस गौठान की शुरुआत तो की गई थी, मगर आज इसका हाल भी खस्ता है।

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जिस तेजी से गोठान योजना की शुरुआत की गई थी, उससे दोगुनी तेजी से अव्यव्स्था फैली है। हमारी रियलिटी टेस्ट में किसी भी गोठान में उचित व्यव्सथा नहीं मिली। अगर हालात ऐसे ही रहे तो जिस उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत की गई थी वो कभी पूरा नहीं हो पाएगा।

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