बालाघाट। पवनपुत्र…अंजनीसुत..रामभक्त हनुमान..इस धाम में संकटमोचन सबके संकट हरते हैं। रामपायली के राम मंदिर के बिल्कुल नीचे सजा है रामभक्त हनुमान का दरबार । मंदिर में स्थापित हनुमाजी की प्रतिमा विलक्षण मानी जाती है । जैसे इस धाम में भगवान राम को बालाजी नाम से पुकारा जाता है वैसे ही मंदिर में स्थापित बजरंगबली को का एक पैर की थाह नहीं मिलती है। यहां स्थापित हनुमान की प्रतिमा चमत्कारी भी मानी जाती हैं। धार्मिक नगरी रामपायली में विराजे विलक्षण हनुमान मंदिर में वैसे तो हर दिन आस्था का मेला लगता है लेकिन मंगलवार और शानिवार को तो जय बजरंगी के जयघोषों से मंदिर परिसर गूंज उठता है ।
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मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान श्रीराम के चरण पड़ने से पदावली से रामपायली नगरी बन गई। चंदन नदी किनारे मंदिर होने से रोजाना सूरज की पहली किरण भगवान के चरणों में गिरती है। मंदिर में स्वयं प्रकट श्रीराम भक्त हनुमान जी की प्रतिमा है जिसका एक पैर पाताल के अंदर है।
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विलक्षण हनुमान जी की अपार महिमा-पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रीराम भक्त पूर्व मुखी हनुमान जी की मूर्ति का एक पैर जमीन पर और दूसरा पैर यानि बायां पैर जमीन के अंदर होने से स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। वर्षों पूर्व एक समिति ने हनुमानजी की मूर्ति हटाकर मंदिर में स्थापित करने की कोशिश की थी। तब पचास फीट से अधिक गड्ढा खोदा गया था, लेकिन पैर का दूसरा छोर नहीं मिल पाया। मान्यता है कि भगवान हनुमान जी का पैर पाताल लोक तक गया है। यहां हनुमान जन्मोत्सव व कार्तिक पूर्णिमा के अलावा साल भर श्रद्घालुओं का तांता लगा रहता है। मंदिर पहुंचने वाले भक्तगण इन मूर्तियों की कहानियां सुनकर भक्ति भाव से ओतप्रोत हो जाते हैं।