Maharaj in Modi cabinet : मोदी कैबिनेट में महाराज! इसका भाजपा की प्रदेश पॉलिटिक्स पर और कितना असर होगा?
Maharaj in Modi cabinet : मोदी कैबिनेट में महाराज! इसका भाजपा की प्रदेश पॉलिटिक्स पर और कितना असर होगा?
Maharaj in Modi cabinet
भोपाल : कांग्रेस सरकार गिराकर भाजपा में शामिल होने के सवा साल बाद राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने जा रहे हैं, जिसे लेकर दिनभर गहमागहमी और भारी सियासी हलचल रही। हालांकि सिंधिया के अलावा प्रदेश से 2 और दिग्गज भाजपा नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह के नाम की चर्चा भी रही लेकिन सबसे ज्यादा हलचल रही सिंधिया खेमे में। इस पर कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस की चलती सरकार गिराने का ये ईनाम को सिंधिया को मिलना ही था। यही तो लालच था, तो भाजपा आलाकमान के लिए भी मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रवार और वर्गवार संतुलन साधना बड़ी चुनौती है।
जब से बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के चार दिनों के दौरे पर पहुंचे तभी से जुलाई में होने वाले मोदी कैबिनेट विस्तार में सिंधिया का नाम तय माना जा रहा था। मंगलवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया उज्जैन में महाकाल दर्शन कर देवास जाने की तैयारी में थे कि तभी उन्हें दिल्ली से बुलावा आ गया, जिसके बाद वो अपना देवास दौरा रद्द कर दिल्ली रवाना हो गए। इससे उनके समर्थकों में जबरदस्त उत्साह रहा लेकिन खुद सिंधिया मंत्री बनने के सवाल को टालते रहे। वहीं मोदी कैबिनेट में शामिल होने के लिए मध्यप्रदेश से सिंधिया के अलावा भी कई दावेदार हैं, जिनमें जबलपुर से तीन बार के सांसद रहे हैं राकेश सिंह। पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का नाम भी दावेदारों में हैं। कैलाश विजयवर्गीय को बंगाल चुनाव में जबरदस्त परफॉर्म करने का ईनाम मिल सकता है। हालांकि, इनमें से किसी भी नाम को लेकर उतनी हलचल नहीं दिखी जितनी ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर रही।
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वैसे, केंद्रीय कैबिनेट में भाजपा के हैवीवेट नेताओँ के बीच संतुलन बनाना भी बड़ी चुनौती है। अगर मोदी मंत्रिमंडल में प्रदेश से तीन नए मंत्री बनते हैं, तो मध्यप्रदेश के कोटे से दो मंत्रियों फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद पटेल में से किसी एक को या फिर दोनों को ही मोदी मंत्रिमंडल से आउट होने की स्थिति बन सकती है। अगर यूपी के बुंदेलखंड से किसी को मौका मिलता है तो प्रह्लाद पटेल का हटना तय लगता है जबकि अगर महाकौशल से जबलपुर सांसद राकेश सिंह को मौका मिलता है तो फग्गन सिंह कुलस्ते को भी हट पड़ सकता है। इधऱ,कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा अलाकमान सिंधिया को कांग्रेस सरकार गिराने का इनाम दे रही है, वो इसी लालच में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए थे।
वैसे सवा साल पहले मध्यप्रदेश में सत्ता पलट के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के केंद्र में मंत्री बनने की बातें कही जाती रहीं है। प्रदेश सरकार और संगठन में भी सिंधिया का दबदबा किसी से छिपा नहीं है। बड़ा सवाल ये है कि सिंधिया के बढ़ते कद से प्रदेश में सत्तासीन भाजपा में क्या वाकई एक नए पावर सेंटर का उदय हो चुका है? इसका भाजपा की प्रदेश पॉलिटिक्स पर और कितना असर होगा? ये भी बड़ा सवाल है।

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