इंग्लिश मीडियम के बच्चों को दिया हिंदी में प्रश्न पत्र, अनुवाद में ही निकल गया पूरा समय,औचित्यहीन रही लर्निंग आऊटकम योजना

इंग्लिश मीडियम के बच्चों को दिया हिंदी में प्रश्न पत्र, अनुवाद में ही निकल गया पूरा समय,औचित्यहीन रही लर्निंग आऊटकम योजना

इंग्लिश मीडियम के बच्चों को दिया हिंदी में प्रश्न पत्र, अनुवाद में ही निकल गया पूरा समय,औचित्यहीन रही लर्निंग आऊटकम योजना
Modified Date: November 29, 2022 / 08:49 pm IST
Published Date: April 8, 2019 3:55 pm IST

कोरबा। अपनी कारगुजारियों से हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाले जिले के शिक्षा विभाग ने एक और कारनामे को अंजाम दिया है। इस बार सीजी बोर्ड के अंग्रेजी माध्यम से संचालित होने वाले स्कूलों में चल रही परीक्षा में हिन्दी में छपे प्रश्न पत्र बांट दिए गए हैं। जिसके कारण परीक्षा देने वाले विद्यार्थियों के लिए परीक्षा औचित्यहीन हो गई। परीक्षा के कुल दो घंटे की अवधि में से एक घंटे तक शिक्षक प्रश्न पत्रों का ही हिन्दी से अंग्रेजी में अनुवाद करते रहे।

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इस वर्ष प्राथमिक और माध्यमिक स्तर के कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों के लर्निंग आऊटकम का पता लगाकर उपयुक्त योजना बनाने के साथ ही शिक्षा में एकरूपता लाने के लिए राज्य स्तर से सभी जिलों में एक साथ पहली से आठवीं तक की परीक्षाएं संचालित की जा रही हैं। हालांकि इन परीक्षा में ना तो किसी को पास-फेल किया जाएगा और ना ही किसी जिले की रैंकिंग की जा रही है। मकसद सिर्फ बच्चों के बौद्धिक स्तर का पता लगाना है। ताकि शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जा सके। हालांकि जिले का शिक्षा विभाग राज्य शासन की इस योजना को पलीता लगाने पर आमादा है।

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सोमवार को 5वीं और 8वीं दोनों कक्षाओं के तय कार्यक्रम के तहत गणित विषय के परीक्षा का आयोजन किया गया। इस दौरान 8वीं के पर्चे ठीक थे। लेकिन 5वीं कक्षा के अंग्रेजी माध्यम के परीक्षार्थियों के प्रश्न पत्र अंग्रेजी में ना होकर हिन्दी में छपे थे। संकुल केन्द्रों से प्राप्त इन प्रश्न पत्रों को स्कूल प्रबंधन देखते ही भौचक्का रह गया। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल प्रबंधनों ने इसकी जानकारी तत्काल संकुल प्रभारी से लेकर उच्चाधिकारियों को दी। लेकिन परीक्षा का समय शुरू हो चुका था। राज्य भर में एक साथ परीक्षाएं चल रही थी। इसलिए विभाग ने भी कन्नी काटने का प्रयास किया और सभी स्कूल प्रबंधनों से प्रश्न पत्र का अनुवाद करके बच्चों को नोट कराने को कह दिया। जिसमें काफी समय तो बर्बाद हुआ । 5वीं कक्षा के बच्चे भी परीक्षा के समय तक पूरी तरह उलझे रहे। कई बच्चों ने गणित जैसे महत्वपूर्ण विषय का पर्चा हल ही नहीं किया। अब ऐसी परिस्थितियों में बच्च्चों के लर्निंग आऊटकम का निर्धारण कैसे होगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

 


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