नयी दिल्ली, एक अगस्त (भाषा) सरकार ने संसद को बताया कि ‘ड्रोन शक्ति’ पहल के तहत, ड्रोन तकनीशियन कोर्स और ड्रोन पायलट (जूनियर) नामक छह-छह महीने के दो कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का देश के 27 आईटीआई में संचालन किया जा रहा है, जहां 2023-24 और 2024-25 के दो शैक्षणिक सत्रों के दौरान कुल 844 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया।
कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को यह भी बताया कि दोनों कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) के अंतर्गत कुछ औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में संचालन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि देशभर के 27 आईटीआई के अतिरिक्त, ये कोर्स पांच राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थानों (एनएसटीआई) में भी संचालित हो रहे हैं। एनएसटीआई में इस अवधि के दौरान कुल 252 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है।
चौधरी ने बताया ‘‘इस प्रकार आईटीआई और एनएसटीआई में सीटीएस के तहत कुल 1,096 उम्मीदवारों को ड्रोन प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षण पूर्ण करने के पश्चात, कुछ प्रशिक्षित उम्मीदवारों को स्थानीय ड्रोन संबंधित कंपनियों में रोजगार प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने ड्रोन तकनीक में प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए आईटीआई और एनएसटीआई के कुल 495 प्रशिक्षकों को दो सप्ताह के ‘ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स’ (टीओटी) कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षित किया है।
चौधरी ने बताया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाय) 4.0 के तहत अब तक कुल 25,633 उम्मीदवारों को विभिन्न अल्पकालिक ड्रोन संबंधित पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित किया गया है। इन पाठ्यक्रमों में ड्रोन निर्माण तकनीशियन, ड्रोन ऑपरेटर, किसान ड्रोन ऑपरेटर शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि एमएसडीई की इन पहल के अलावा, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) द्वारा पंजीकृत रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (आरपीटीओ) में ड्रोन पायलटों का प्रशिक्षण ड्रोन नियम 2021 के तहत किया जाता है। जून 2025 तक कुल 23,451 उम्मीदवारों को रिमोट पायलट प्रमाणपत्र प्रदान किए जा चुके हैं। वर्तमान में देशभर में डीजीसीए द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 186 आरपीटीओ हैं।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी योजना’ को एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में तीन वर्षों (2023–24 से 2025–26) की अवधि हेतु 1,261 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी है। इस योजना के तहत कृषि में उन्नत तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने, उत्पादन में वृद्धि, लागत में कमी और महिला स्व-सहायता समूहों को ड्रोन सेवा प्रदाता के रूप में सशक्त बनाकर उनकी आय में वृद्धि का लक्ष्य है।
चौधरी ने बताया कि योजना के तहत 15,000 ड्रोन महिला एसएचजी को उपलब्ध कराए जाने का लक्ष्य है। 2023-24 में प्रमुख उर्वरक कंपनियों (एलएफसी) ने अपनी आंतरिक संसाधनों से 1,094 ड्रोन एसएचजी को वितरित किए, जिनमें से 500 ड्रोन नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत वितरित किए गए। इस योजना के अंतर्गत, डीजीसीए द्वारा अनुमोदित आरपीटीओ में प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने बेंगलुरु स्थित ‘एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट एंड रूरल ट्रांसफॉर्मेशन सेंटर’ (एडीआरटीसी) के माध्यम से एलएफसी द्वारा वितरित 500 ड्रोन पर एक अध्ययन कराया। अध्ययन में पाया गया कि इन ड्रोन ने गांवों में ड्रोन दीदियों के लिए पूर्णकालिक रोजगार सृजित किया, अप्रैल और मई जैसे ऑफ-सीजन महीनों को छोड़कर। इस पहल से महिला सशक्तीकरण को भी बढ़ावा मिला है।
भाषा मनीषा अविनाश
अविनाश