Train Cancelled: रेल मंडल ने उठाए एहतियाती कदम, कई ट्रेन रद्द तो कई के मार्ग में हुआ बदलाव
झारखंड : कुर्मी आंदोलन के कारण झारखंड, ओडिशा में 11 ट्रेन रद्द, आठ के मार्ग में परिवर्तन
Jharkhand Railway Employees Transfer
रांची/भुवनेश्वर: 11 trains canceled in Jharkhand कुर्मी संगठनों द्वारा देश के तीन पूर्वी राज्यों में बुधवार से अनिश्चितकाल के लिए रेल नाकाबंदी का आह्वान किये जाने के मद्देनजर झारखंड और ओडिशा में क्रमश: दक्षिण पूर्व रेलवे (एसईआर) और पूर्वी तट रेलवे (ईसीओआर) के अंतर्गत कम से कम 11 ट्रेन को रद्द कर दिया गया और 12 अन्य का मार्ग बदल दिया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
11 trains canceled in Jharkhand कई कुर्मी संगठनों ने समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने और कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए 20 सितंबर से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के नौ रेलवे स्टेशन पर रेल नाकाबंदी का आह्वान किया है। एसईआर ने नौ एक्सप्रेस ट्रेन को रद्द किया और रांची रेल मंडल में आठ अन्य का मार्ग परिवर्तित किया। अधिकारी ने बताया कि जो ट्रेन मंगलवार को अपने संबंधित स्टेशन से प्रस्थान करने वाली थीं और अगले दिन रांची रेल मंडल में प्रवेश करने वाली थीं, उन्हें एहतियातन या तो रद्द कर दिया गया है या फिर उनका मार्ग बदल दिया गया है।
दूसरी ओर ईसीओआर ने दो ट्रेन को रद्द किया है और चार अन्य का मार्ग परिवर्तित किया है। झारखंड के अग्रणी कुर्मी संगठन ‘टोटेमिक कुर्मी विकास मोर्चा’ (टीकेवीएम) के अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल के आदिवासी कुर्मी समाज और ओडिशा की कुर्मी सेना सहित कई संगठन आंदोलन में शामिल होंगे। उन्होंने रांची में संवाददाताओं से कहा, ‘‘20 सितंबर से झारखंड में मुरी, गोमो, नीमडीह और घाघरा स्टेशन, पश्चिम बंगाल में खेमासुली व कुस्तौर स्टेशन तथा ओडिशा में हरिचंदनपुर, जराइकेला एवं धनपुर स्टेशन पर अनिश्चितकाल के लिए रेल नाकेबंदी की जाएगी।’’
ओहदार ने कहा, ‘‘पारंपरिक पोशाक पहने कुर्मी समुदाय के हजारों लोग ढोल और अन्य वाद्ययंत्र बजाते हुए और छऊ, पाटा, नटुवा व झूमर नृत्य करते हुए आंदोलन में हिस्सा लेंगे।’’ कुर्मी संगठनों ने अपनी मांग पर दबाव बनाने के लिए पिछले साल 20 सितंबर को पांच दिन के लिए रेल पटरियों को जाम किया था, जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ था। ओहदार ने समुदाय के सांसदों से संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इस मांग को उठाने का आग्रह किया।
आदिवासी कुर्मी समाज (एकेएस) के केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो ने दावा किया कि ब्रिटिश शासन के दौरान 1913 में कुर्मियों को अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘जब केंद्र ने छह सितंबर 1950 को एसटी सूची को अधिसूचित किया, तो कुर्मियों को पश्चिम बंगाल, बिहार और ओडिशा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में डाल दिया गया।’’ महतो ने कहा, ‘‘प्राचीन काल से कुर्मी अनुसूचित जनजाति के रहे हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि तीनों राज्यों में उनकी आबादी दो करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।

Facebook



