कबाड़ में भेजी जाएंगी 15 वर्ष पुरानी गाड़ियां, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी जानकारी

15 Year Old Govt Vehicles Policy: नितिन गडकरी ने वार्षिक एग्रो-विजन कृषि प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा कि भारत सरकार और उसके उपक्रमों की 15 साल पुरानी गाड़ियों को हटाया जाएगा।

कबाड़ में भेजी जाएंगी 15 वर्ष पुरानी गाड़ियां, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी जानकारी

Nitin Gadkari

Modified Date: November 29, 2022 / 08:27 pm IST
Published Date: November 25, 2022 8:33 pm IST

15 Year Old Govt Vehicles Policy: महाराष्ट्र के नागपुर में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वार्षिक एग्रो-विजन कृषि प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह के दौरान कहा कि भारत सरकार और उसके उपक्रमों की 15 साल पुरानी गाड़ियों को हटाया जाएगा।

गडकरी ने कहा कि इतनी पुरानी गाड़ियां अब सड़क पर नहीं दौड़ेंगी। उन्होंने बताया कि 15 साल पुरानी गाड़ियों को हटाने संबंधी नीति सभी राज्यों को भेजी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को भी अपने दायरे में आने वाले विभागों को 15 साल पुरानी गाड़ियों को बंद कर देना चाहिए।

‘धान की पराली से बनेगा बायो बिटुमेन’

15 Year Old Govt Vehicles Policy: इसके अलावा केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि हरियाणा के पानीपत में इंडियन ऑयल के दो प्लांट तकरीबन काम करने लगे हैं। उन्होंने कहा कि एक प्लांट से हर दिन एक लाख लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यूपी, पंजाब और हरियाणा जैसे चावल पैदा करने वाले क्षेत्रों में धान की पराली जलाने से प्रदूषण होता है लेकिन अब इसका इस्तेमाल इथेनॉल और बायो बिटुमेन बनाने के लिए किया जा सकता है।

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क्या होता है बायो बिटुमेन?

15 Year Old Govt Vehicles Policy: केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि देश में सड़क परिवहन विभाग में 80 लाख टन बायो बिटुमेन चाहिए होता है और 50 लाख टन बायो बिटुमेन देश में बनता है जबकि 25 लाख टन बायो बिटुमेन आयात करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि बायो बिटुमेन काले रंग का एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जिसका इस्तेमाल सड़क बनाने में किया जाता है। आमतौर पर इसे कोलतार कहते हैं. पराली से बायो बिटुमेन बनाने का प्रयोग भारत पहली बार करने जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तरह की परियोजनाओं से देश को विदेशों से कोलतार आयात नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारतीय किसान जो चावल पैदा कर रहे हैं, अब उसके भूसे से बनाए गए बायो बिटुमेन से गांव से लेकर राजमार्गों तक की सड़कें बनाई जाएंगी।

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