Assam News : 9 महिलाओं समेत 28 मुस्लिमों को भेजा गया डिटेंशन कैंप, स्टूडेंट यूनियन ने सरकार को दी बड़ी चेतावनी
Assam News : असम राज्य से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां बारपेटा जिले स्थित डिटेंशन कैंप में 28 मुसलमानों को रखा गया है।
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दिसपुर : Assam News : असम राज्य से एक हैरान करने वाली खबर सामने आई है। यहां बारपेटा जिले स्थित डिटेंशन कैंप में 28 मुसलमानों को रखा गया है। इस मामले पर असम मुस्लिम स्टूडेंटस यूनियन के चीफ आशिक रब्बानी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि 28 लोगों को आज फॉरेनर ट्रिब्यूनल के ज़रिए डिटेंशन कैंप में रखा गया है, जो पूरी तरह से गलत है।
भारतीय है सभी लोग
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को डिटेंशन कैंप में रखा गया है, वो सभी भारतीय हैं। उनके पास भारतीय होने के पूरे दास्तवेज हैं। भारतीय नागरिक होने के बावजूद भी उन्हें आज फॉरेनर ट्रिब्यूनल के ज़रिए डिटेंशन कैंप में रखा गया है। यह पूरी तरह से गलत है। हम इसका विरोध करते हैं और आने वाले दिनों में हम उग्र आंदोलन भी करेंगे।
असम के बारपेटा ज़िले से 28 लोगों को डिटेंशन कैंप भेजा गया, इनमें 9 महिलाएं और 19 पुरुष हैं। pic.twitter.com/44dvcdouA8
— Shams Tabrez Qasmi (@ShamsTabrezQ) September 3, 2024
सीनियर वकील ने की मामले की निंदा
Assam News : वहीं, गुवाहाटी हाई कोर्ट के सीनियर वकील रेजावल करीम ने असम के पार्टी संगठन से इन 28 लोगों को हर संभव मदद देने की अपील की। उन्होंने इस फ़ैसले की निंदा की।
राज्य में हैं कितने डिटेंशन सेंटर
13 दिसंबर 2011 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री एम रामचंद्रन ने बताया था कि नवंबर 2011 तक असम में 3 डिटेंशन सेंटर थे, जो गोलपारा, कोकराझार और सिलचर में बनाए गए थे। वहीं, 3 दिसंबर 2019 को AIUDF सांसद बदरुद्दीन अजमल ने असम में डिटेंशन सेंटर को लेकर सवाल उठाया था. इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि, ‘असम में 6 डिटेंशन सेंटर हैं, जिनमें 28 नवंबर 2019 तक 970 लोग रह रहे हैं। इस सेंटर में 970 लोगों में से 324 महिलाएं भी हैं।
अब तक इतने लोगों की हो चुकी है मौत
Assam News : 27 नवंबर 2019 को तृणमूल सांसद डॉ. शांतनु सेन के एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में जवाब दिया था- 2016 से 13 दिसंबर 2019 तक असम के डिटेंशन सेंटरों में रह रहे 28 लोगों की मौत हो चुकी है। इन लोगों की मौत या तो डिटेंशन सेंटरों में हुई है या फिर जिन अस्पतालों में उन्हें भेजा गया था, वहां हुई है।

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