नई दिल्ली। नोटबंदी के दौरान बीते दो सालों में 50 लाख लोगों की नौकरी जाने का दावा किया गया है। बेंगलुरू स्थित अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ सस्टेनेबल एम्प्लॉयमेंट के रिपोर्ट 2019 में ये दावा किया गया।
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रिपोर्ट की माने तो नोटबंदी के बाद असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले पचास लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं। रिपोर्ट में ये भी दर्शाया गया है कि सबसे ज्यादा नौकरियां नोटबंदी के दौरान गई है। इसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं बताया गया।
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प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान किया था। नोटबंदी के ऐलान किए जाने के आसपास ही नौकरी की कमी शुरू हो गई थी। हालांकि रिपोर्ट में यह साफ तौर पर बेरोजगारी और नोटबंदी में संबंध नहीं दर्शाया गया।
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‘सेंटर फॉर सस्टेनेबल एम्लॉयमेंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक नौकरी गंवाने वाले पचास लाख बेरोजगारों में शहरी और ग्रामीण इलाकों के कम शिक्षित पुरुषों की संख्या सबसे ज्यादा है। रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि नोटबंदी से असंगठित क्षेत्र के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट लिखने वाल सेंटर के अध्यक्ष प्रोफेसर अमित बसोले की माने तो पचास लाख लोगों ने अपनी नौकरी गंवाई है। कहीं और नौकरियां भले बढ़ी हों लेकिन ये सच है कि पचास लाख पुरुष बेरोजगार हुए हैं।
इससे पहले सरकार पर रोजगार के आंकड़े छिपाने का भी आरोप लगा है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने एनएसएसओ के वे आंकड़ें छिपाए हैं, जिनके अनुसार 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है।
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