गोपेश्वर (उत्तराखंड), 31 दिसंबर (भाषा) उत्तराखंड के चमोली जिले में निर्माणाधीन 444 मेगावाट विष्णुगाड–पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना की पीपलकोटी सुरंग में दो लोको ट्रेन के आपस में टकराने से हुए हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं।
पीपलकोटी में परियोजना स्थल का निरीक्षण करने के बाद चमोली के जिलाधिकारी गौरव कुमार ने लोको ट्रेन की टक्कर से हुए हादसे की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए।
मंगलवार रात श्रमिकों व कर्मचारियों को ले जा रही एक लोको ट्रेन तथा सामग्री ढोने वाली दूसरी लोको ट्रेन की आपस में टक्कर के कारण 88 लोग घायल हो गए थे।
हादसे के बाद बुधवार को चमोली के जिलाधिकारी गौरव कुमार और पुलिस अधीक्षक सुरजीत सिंह पंवार ने पीपलकोटी में टीएचडीसी (इंडिया) द्वारा बनायी जा रही परियोजना के टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) स्थल का निरीक्षण किया। सुरंग के भीतर इसी स्थान पर दोनों लोको ट्रेन आपस में टकरा गयी थीं।
उन्होंने परियोजना अधिकारियों से घटना की विस्तृत जानकारी ली और भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए उन्हें सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए।
अधिकारियों ने कार्यस्थल पर श्रमिकों के प्रवेश एवं निकास रजिस्टर का भी निरीक्षण किया और उसे अद्यतन रखने के निर्देश दि । उन्होंने टीएचडीसी के महाप्रबंधक को श्रमिकों की सुरक्षा हेतु आवश्यक तकनीकी एवं मानवीय सुरक्षा इंतजाम सुनिश्चित करने को भी कहा।
इससे पहले, हादसे की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी घटना के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली और घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने चमोली के जिलाधिकारी से फोन पर बातचीत कर सभी घायलों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
रात की पाली में सुरंग की खुदाई के लिए श्रमिकों को ले जा रही लोको ट्रेन सुरंग के करीब दो किलोमीटर भीतर पहुंची थी, तभी दूसरी ओर से सामग्री लेकर आ रही एक अन्य लोको ट्रेन अनियंत्रित होकर उससे टकरा गई थी।
जिलाधिकारी ने बताया कि हादसे के समय लोको ट्रेन में कुल 109 लोग सवार थे, जिनमें अधिकांश श्रमिक थे। उन्होंने बताया कि इनमें से 88 लोग घायल हुए, हालांकि किसी की हालत गंभीर नहीं है।
उन्होंने बताया कि 84 श्रमिकों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई, जबकि चार अब भी अस्पताल में भर्ती हैं।
इस बीच, रेलवे ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि परियोजना के भीतर टकराई ट्रेनों का भारतीय रेल से कोई संबंध नहीं है।
बयान में कहा गया, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि उत्तराखंड के चमोली में जलविद्युत परियोजना की सुरंग के निर्माण के दौरान स्थानीय स्तर पर परिवहन व्यवस्था में प्रयुक्त एक ट्रॉली से संबंधित यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई। समाचारों में संदर्भित ट्रेन भारतीय रेल की नहीं है, बल्कि परियोजना टीम द्वारा स्थानीय स्तर पर उपयोग की जा रही परिवहन व्यवस्था है।’’
अधिकारियों के अनुसार, सुरंग के भीतर निर्माण कार्य के लिए श्रमिकों, कर्मचारियों और सामग्री के परिवहन में रेलनुमा वाहनों का उपयोग किया जाता है।
अलकनंदा नदी पर हेलंग और पीपलकोटी के बीच बनाई जा रही इस परियोजना में चार टरबाइन के जरिए कुल 444 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। परियोजना को अगले वर्ष तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
भाषा सं दीप्ति गोला
गोला