मुर्शिदाबाद में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरायी, महिलाएं दहशत में: एनसीडब्ल्यू रिपोर्ट

मुर्शिदाबाद में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरायी, महिलाएं दहशत में: एनसीडब्ल्यू रिपोर्ट

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  • Publish Date - April 25, 2025 / 08:18 PM IST,
    Updated On - April 25, 2025 / 08:18 PM IST

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में प्रशासनिक व्यवस्था और शासन पूरी तरह से ‘‘चरमरा’’ गया है। आयोग ने कहा कि क्षेत्र की महिलाएं दहशत में हैं।

वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान 11 और 12 अप्रैल को मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज, सुती, धुलियान और जंगीपुर में हुई हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी।

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर की अध्यक्षता वाली जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये टिप्पणियां की हैं, जिन्होंने मुर्शिदाबाद के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था।

एनसीडब्ल्यू ने कहा कि राज्य के समर्थन के अभाव में कई विस्थापित महिलाओं को अब अधिक असुरक्षित स्थिति और अपने मान सम्मान की हानि का सामना करना पड़ रहा है।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसने पाया कि ‘‘मुर्शिदाबाद जिले में प्रशासनिक मशीनरी और शासन व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी है।’’

एनसीडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, ‘‘पूर्व खुफिया जानकारी और क्षेत्र में तनाव के बावजूद, राज्य सरकार निवारक या प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई करने में विफल रही, और मूकदर्शक बनी रही। ऐसा प्रतीत होता है कि हिंसा जानबूझकर और पूर्वनियोजित थी…।’’

उसने कहा, ‘‘बांग्लादेश के साथ लगती सीमा के कई स्थानों पर खुले होने तथा प्रशासनिक सतर्कता में कमी के कारण स्थिति और खराब हो गई है, तथा क्षेत्र में कट्टरपंथी धार्मिक तत्वों की उपस्थिति से इनकार नहीं किया जा सकता है।’’

आयोग ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार ‘मूकदर्शक’ बनी रही और स्थिति को अराजकता में तब्दील होने दिया।

बयान में कहा गया है कि 19 अप्रैल को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शांति अपील के बावजूद उन्होंने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं किया है और न ही पीड़ितों से मुलाकात की।

आयोग ने आरोप लगाया कि जांच के दौरान राज्य के अधिकारियों का रवैया असहयोगात्मक रहा, वरिष्ठ अधिकारी सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए तथा स्थानीय प्राधिकारियों ने कोई सार्थक सहायता नहीं दी।

एनसीडब्ल्यू ने कहा कि मालदा जिले में राहत शिविरों में क्षमता से अधिक लोग हैं और वहां संसाधनों की कमी है।

उसने कहा, ‘‘राहत शिविरों में, विशेषकर मालदा जिले में, स्थिति गंभीर है। वहां भोजन, कपड़े, पेयजल, स्वच्छता और चिकित्सा सहायता जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। राज्य सरकार न्यूनतम राहत भी प्रदान करने में विफल रही है, जिससे पहले से ही सदमे में रह रहे परिवारों को संकट और अनिश्चितता की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है।’’

भाषा धीरज अविनाश

अविनाश