MasterCard laid off employees
नई दिल्ली : MasterCard laid off employees मास्टरकार्ड ने छंटनी की तैयारी कर ली है। कंपनी दुनिया भर में अपने 3 प्रतिशत कर्मचारियों की छंटनी करने जा रही है। मास्टरकार्ड का कहना है कि छंटनी मुख्य उद्देश्य अपने रिसोर्सज का इस्तेमाल उन सेगमेंट में करना है जहां अच्छी ग्रोथ की गुंजाइश है। उन्होंने एआई जैसी तकनीक के साथ तालमेल बिठाने और कामकाजी खर्च घटाने का हवाला दिया है।
जानकारी के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में Microsoft, Google और intel जैसी कई बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों ने कामकाजी लागत घटाने के लिए हजारों कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। लेकिन इस लिस्ट में अब डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन सुविधा देने वाली अमेरिकी कंपनी मास्टरकार्ड शामिल हो चुकी है। यह कंपनी अपने लगभग 1 हजार कर्मचारियों की छंटनी करने वाली है, जो इनकी कुल वर्कफोर्स का 3 प्रतिशत हैं।
MasterCard laid off employees मास्टरकार्ड के एक प्रवक्ता का कहना है कि छंटनी कंपनी की नई रिस्ट्रक्चरिंग प्रक्रिया का हिस्सा है और वह कुछ गैर-जरूरी पदों को भी खत्म कर रही है। इससे उसे मौजूदा बाजार में बेहतर तरीके से काम करने में सहायता मिलेगी। 30 सितंबर तक छंटनी को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस कारण भारत समेत दुनियाभर में मास्टरकार्ड कर्मचारी प्रभावित होंगे। उन्होंने बताया कि छंटनी का मुख्य उद्देश्य अपने रिसोर्सेज का इस्तेमाल उन सेगमेंट में करना है, जिसमें अच्छी ग्रोथ की गुंजाइश हो। इस वर्ष गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और इंटेल जैसी कई कंपनियों ने भी हजारों नौकरियां खत्म कर दी हैं। उन्होंने भी एआई तकनीक के साथ तालमेल बिठाने और कामकाजी खर्च घटाने का हवाला दिया है।
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बता दें कि Mastercard के पास लगभग 33,400 कर्मचारी हैं। इनमें 67 प्रतिशत अमेरिका के बाहर काम करते हैं। मास्टरकार्ड के तिमाही परिणाम उम्मीद से बेहतर आए थे। लेकिन, ऑपरेटिंग एक्सपेंस में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यही कारण है कि कंपनी ने कर्मचारियों की छंटनी का निर्णय लिया है। रिस्ट्रक्चरिंग की लागत 19 करोड़ डॉलर होने का अनुमान है।
इंटेल ने खराब तिमाही नतीजों के बाद भी करीब 18 हजार कर्मचारियों की छंटनी का फैसला लिया। यह उनकी कुल वर्कफोर्स के करीब 15 प्रतिशत है। जून माह में इजराइल में एक प्रमुख फैक्ट्री प्रोजेक्ट के विस्तार को भी इंटेल ने पेंडिंग में कर दिया था। जिसमें चिप प्लांट के लिए अतिरिक्त 15 अरब डॉलर का निवेश किया जाना था। उसका उद्देश्य भी खर्च को कम करना था।