राजधानी की सड़क पर बोट लेकर उतर भाजपा नेता, कहा- मौज कर दी, चारों ओर दिख रहा पानी-पानी
राजधानी की सड़क पर बोट लेकर उतर भाजपा नेता, कहा- मौज कर दी! After the heavy rain, the BJP leader Tajinder Pal Singh Bagga got down on the road with a boat
रायपुर: नई दिल्ली में इस मानसून के मौसम में अब तक सात बार भारी बारिश हुई है जो एक दशक में सबसे अधिक है और शहर में दर्ज की गई वर्षा का 60 प्रतिशत से ज्यादा पानी इन्हीं दिनों में बरसा है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। वहीं, भारी बारिश के बाद सड़कों में जल भराव की स्थिति बन गई है, जिसके बाद भाजपा नेता तेजेंदर पाल सिंह बग्ग सड़कों पर बोट लेकर उतरे हैं। भाजपा नेता बग्गा ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि केजरीवाल जी ने मौज कर दी।
विशेषज्ञों का कहना है कि देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की घटनाओं में वृद्धि का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है। 15 मिलीमीटर (मिमी) से नीचे दर्ज की गई वर्षा को हल्की माना जाता है, 15 से 64.5 मिमी के बीच मध्यम, 64.5 मिमी और 115.5 मिमी के बीच भारी, 115.6 और 204.4 के बीच वर्षा को बहुत भारी माना जाता है। 204.4 मिमी से ज्यादा बरसात अत्यधिक भारी वर्षा मानी जाती है। आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने कहा कि आमतौर पर दिल्ली में पूरे मौसम में भारी बरसात की एक या दो घटनाएं होती हैं। उन्होंने ने कहा, “इस साल ‘भारी बारिश’ के दिनों की संख्या पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अधिक है। अधिकांश बरसात – लगभग 60 से 70 प्रतिशत – भारी बारिश से हुई है।” राष्ट्रीय राजधानी में जुलाई में तीन बार भारी बारिश दर्ज की गई – 19 जुलाई को 69.6 मिमी, 27 जुलाई को 100 मिमी और 30 जुलाई को 72 मिमी।
दिल्ली में जबकि पिछले महीने इस तरह की भारी बारिश सिर्फ एक दिन 21 अगस्त को हुई थी जब 138.8 मिमी बारिश दर्ज की गई थी। शहर में इस महीने ऐसी (भारी बारिश की) तीन घटनाएं हो चुकी हैं – एक सितंबर को 112.1 मिमी, दो सितंबर को 117.7 मिमी और 11 सितंबर (शनिवार) को 94.7 मिमी। कुल मिलाकर, “भारी बारिश” की घटनाओं में शनिवार की सुबह तक इस मानसून के मौसम में 64 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई। दिल्ली ने 2020 के मानसून सीजन में तीन बार भारी बारिश दर्ज की थी जबकि 2019 और 2018 में एक दिन भी भारी बारिश दर्ज नहीं की गई थी। आईएमडी के पूर्व महानिदेशक अजीत त्यागी ने कहा, “पिछले 30 वर्षों को देखने से पता चला है कि भारी बारिश की घटनाओं की संख्या में वृद्धि हुई है … यह आंकड़ों और अनुमानों दोनों पर आधारित है। इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं है कि (भविष्य में) अधिक भारी वर्षा वाले दिन और लंबे समय तक शुष्क रहने वाले दौर हैं। हालांकि, कुल वर्षा की मात्रा में बदलाव नहीं हो सकता है।”
उन्होंने कहा, “प्राकृतिक परिवर्तनशीलता भी है। कोई भी दो मानसून समान नहीं होते हैं। यदि आप अतीत में 50 साल तक जाते हैं, तो सूखे के वर्ष और बाढ़ के वर्ष हुआ करते थे। जलवायु परिवर्तन किसी भी मौसम प्रणाली की प्राकृतिक परिवर्तनशीलता पर स्थान, समय और तीव्रता के लिहाज से दबाव को चिन्हित कर रहा है।…लेकिन एकल घटनाओं को पूरी तरह से इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।” त्यागी ने कहा कि दिल्ली और गुड़गांव जैसे शहरों में हालांकि 50 मिमी तक बारिश के कारण होने वाले भारी जलभराव को जलवायु संकट से नहीं जोड़ा जा सकता है। त्यागी ने कहा, “यह हमारी खराब योजना के कारण है। आने वाले समय में शहरों की योजना इस तरह से बनाई जानी चाहिए कि वे एक दिन में 150 मिमी से 200 मिमी बारिश का सामना करने में सक्षम हों।” इस साल मानसून के अत्यधिक असामान्य मौसम में दिल्ली में अभी तक 1,100 मिलीमीटर बारिश हुई जो 46 वर्षां में सबसे अधिक तथा पिछले साल दर्ज की गयी बारिश से लगभग दोगुनी है। ये आंकड़ें बदल सकते हैं क्योंकि शहर में आज और बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी के अनुसार, सामान्य तौर पर दिल्ली में मानसून के मौसम के दौरान 648.9 मिमी बारिश दर्ज की जाती है। मानसून का मौसम शुरू होने पर एक जून से 11 सितंबर तक शहर में सामान्य तौर पर 590.2 मिमी बारिश होती है। मानसून 25 सितंबर तक दिल्ली से चला जाता है।
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केजरीवाल जी मौज करदी pic.twitter.com/fn3zCWwhgF
— Tajinder Pal Singh Bagga (@TajinderBagga) September 11, 2021

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