इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहारनपुर दंगा मामले में सांसद चंद्रशेखर की याचिकाएं खारिज कीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहारनपुर दंगा मामले में सांसद चंद्रशेखर की याचिकाएं खारिज कीं

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहारनपुर दंगा मामले में सांसद चंद्रशेखर की याचिकाएं खारिज कीं
Modified Date: December 18, 2025 / 06:10 pm IST
Published Date: December 18, 2025 6:10 pm IST

प्रयागराज, 18 दिसंबर (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नगीना से सांसद और भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर की 2017 के सहारनपुर दंगों से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी।

चंद्रशेखर ने दंगों को लेकर दर्ज चार प्राथमिकियों के तहत मुकदमा रद्द करने का अनुरोध किया था।

न्यायमूर्ति समीर जैन ने आदेश पारित करते हुए कहा कि अगर इन घटनाओं का दायरा भिन्न है और अपराध अलग-अलग स्थानों व अलग समय पर हुए तो महज इसलिए प्राथमिकियां रद्द नहीं की जा सकती क्योंकि घटनाएं एक ही दिन हुईं।

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अदालत ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व के निर्णय के आधार पर कहा, “अगर मौजूदा प्राथमिकी का संस्करण अलग है और तथ्यात्मक आधारों पर नई खोज की जाती है तो दूसरी प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।”

उच्च न्यायालय ने कहा, “मौजूदा मामले में भीम आर्मी से जुड़ी भीड़ ने लगातार कई घंटों तक अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग समय पर आगजनी व तोड़फोड़ की। इसलिए यह कहा जा सकता है कि ये सभी घटनाएं एक ही मुद्दे से जुड़ी हैं।”

अदालत ने कहा, “लेकिन इस तथ्य पर विचार करते हुए कि याचिकाकर्ता सांसद है और कथित अपराध उनके पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए, अपर महाधिवक्ता की दलील से यह एक ऐसा मामला प्रतीत होता है, जिसमें एक बड़े षड़यंत्र की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।”

उच्च न्यायालय ने कहा, “इसलिए, निर्मल सिंह कहलोन के मामले में उच्चतम न्यायालय के विचार को ध्यान में रखते हुए इन प्राथमिकियों के तहत जारी मुकदमे रद्द करना उचित नहीं है।”

याचिकाकर्ता चंद्रशेखर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 528 के तहत चार प्राथमिकियों को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

चंद्रशेखर के खिलाफ पहली प्राथमिकी नौ मई, 2017 को दर्ज की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि वह और उनके लोगों (250-300 लोगों की भीड़) ने सड़क जाम की, प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस अधिकारियों पर अवैध हथियारों से हमले किए और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।

चंद्रशेखर के वकील ने दलील थी कि चार प्राथमिकियां उसी दिन दर्ज की गईं जो एक ही भीड़ और एक ही घटना से जुड़ी थीं।

वकील ने अदालत में दलील दी कि टीटी एंटनी बनाम केरल सरकार और बाबूभाई बनाम गुजरात सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय के मुताबिक, समान तथ्यों को लेकर दूसरी प्राथमिकी की अनुमति नहीं है और यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है।

वहीं दूसरी ओर, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने दलील दी कि ये घटनाएं अलग-अलग स्थानों पर हुईं और प्राथमिकियां अलग-अलग लोगों द्वारा दर्ज कराई गईं।

उन्होंने कहा कि अगर भीड़ एक जगह से दूसरी जगह जाकर अलग अपराध करती है, संपत्ति को नुकसान पहुंचाती है तो अलग अलग प्राथमिकियां दर्ज की जा सकती हैं।

अदालत ने बुधवार को निर्णय में कहा कि इन घटनाओं की तिथि (नौ मई, 2017) एक ही थी लेकिन घटनाओं का स्थान और समय अलग-अलग था।

भाषा सं राजेंद्र जितेंद्र

जितेंद्र


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