नयी दिल्ली, 24 अप्रैल (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने के आरोप देशद्रोह के समान हैं तथा बिना किसी ठोस सामग्री के गैरजिम्मेदाराना ढंग से आरोप नहीं लगाए जा सकते।
अदालत बीजू जनता दल (बीजद) सांसद पिनाकी मिश्रा द्वारा वकील जय अनंत देहाद्राई के खिलाफ याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मिश्रा ने देहाद्राई के कथित मानहानिकारक ट्वीट और बयानों को लेकर याचिका दायर की है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि देहाद्राई को अधिकारियों से की गई अपनी शिकायत के नतीजे का इंतजार करना चाहिए।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘जब आप प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश कहते हैं, तो यह परेशानी वाली बात है…प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश राज्य के खिलाफ अपराध है, देशद्रोह है।’
अदालत ने कहा, ‘इसका आम जनता पर गंभीर असर होगा… यह सब कहने से पहले जांच (पूरी होने का) का इंतजार करें।’
देहाद्राई और उनके वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक मिश्रा द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ ‘साजिश रचने’ के बारे में कोई और बयान नहीं देंगे।
अदालत ने कहा, ‘प्रतिवादी की ओर से पेश हुए श्री (राघव) अवस्थी ने अदालत को आश्वासन दिया कि सुनवाई की अगली तारीख तक वादी पर प्रधानमंत्री के खिलाफ किसी षडयंत्र में शामिल होने का कोई आरोप नहीं लगाया जाएगा।’
अदालत ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप प्रथम दृष्टया गंभीर आरोप है। यह देशद्रोह के समान है। प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप गैर-जिम्मेदाराना ढंग से नहीं लगाया जा सकता और यह ठोस कारणों पर आधारित होना चाहिए।’
प्रतिवादी के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए, अदालत ने देहाद्राई और दो मीडिया घरानों को नोटिस जारी किया। मामले में अगली सुनवाई जुलाई में होगी।
भाषा अविनाश माधव
माधव
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