आवंटियों को अपनी संपत्तियों के हस्तांतरण से ‘सदा के लिए’ नहीं रोका जा सकता : न्यायालय

आवंटियों को अपनी संपत्तियों के हस्तांतरण से 'सदा के लिए' नहीं रोका जा सकता : न्यायालय

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  • Publish Date - October 8, 2021 / 09:57 PM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:09 PM IST

नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मौखिक रूप से कहा कि भूखंडों के आवंटियों को अपनी संपत्तियों को स्थानांतरित करने के अपने अधिकार का प्रयोग करने से ‘सदा के लिए’ नहीं रोका जा सकता।

न्यायालय ने सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और कुछ न्यायाधीशों को रियायती दरों पर दिए गए भूखंडों के हस्तांतरण संबंधी मुद्दे से निपटने के लिए गुजरात सरकार द्वारा सौंपी गई एक योजना पर अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए यह टिप्पणी की।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले मौलिन बरोट की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण की आपत्ति पर ध्यान दिया और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह आवंटित भूखंडों के हस्तांतरण संबंधी पहलू से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा पेश की गईं योजनाओं से संबंधित प्रावधानों को हटा दें।

भूषण ने कहा कि ये प्रावधान ‘मुनाफाखोरी’ को प्रोत्साहित करेंगे, क्योंकि जिन व्यक्तियों को उनके पदों के कारण ‘राज्य की ओर से रियायत’ मिली है, उन्हें रियायती दरों पर आवंटित संपत्तियों से लाभ प्राप्त करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

पीठ ने कहा, “हम जो महसूस करते हैं वह यह है कि हम संपत्ति के हस्तांतरण के अधिकार को हमेशा के लिए नहीं रोक सकते। 30 वर्ष और 25 वर्ष उचित अवधि हैं जिसे हमें समझना होगा। लेकिन क्या हम उन्हें उनकी संपत्तियों को स्थानांतरित करने से रोक सकते हैं।”

न्यायालय ने हाउसिंग सोसाइटियों का भी उदाहरण दिया जहां किसी आवंटी को एक निश्चित अवधि के बाद संपत्ति बेचने की अनुमति होती है।

भूषण ने कहा कि संपत्तियों की प्रकृति में अंतर है क्योंकि एक को यह राज्य द्वारा रियायती दरों पर दी गई है जबकि दूसरे के पास यह अनूठा पहलू नहीं है।

भाषा नेत्रपाल नरेश

नरेश