दिल्ली विस्फोट में मारे गए अमर कटियार के बेटे को पिता का इंतजार

दिल्ली विस्फोट में मारे गए अमर कटियार के बेटे को पिता का इंतजार

दिल्ली विस्फोट में मारे गए अमर कटियार के बेटे को पिता का इंतजार
Modified Date: November 14, 2025 / 07:56 pm IST
Published Date: November 14, 2025 7:56 pm IST

(वर्षा सागी)

नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) दिल्ली विस्फोट में मारे गए अमर कटारिया का तीन साल का बेटा अपने घर के मुख्य दरवाजे पर टकटकी लगाए बैठा रहता है। तीन दिन बीत गए हैं, जब उसके पिता ने आखिरी बार दस्तक दी थी और वह दौड़कर उनकी गोद में चढ़ गया था।

बच्चा इस बात से अनजान है कि उसके पिता सोमवार देर शाम लाल किले के पास हुए कार विस्फोट में मारे गए 13 लोगों में शामिल हैं। घर के खामोश कमरों और अपने रोते-बिलखते परिजनों को देख उसे कुछ हद तक इस अनहोनी का एहसास हो गया है, पर वह उसे स्वीकार नहीं कर पा रहा है।

 ⁠

अमर के रिश्तेदार स्वदेश सेठी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “वह (बच्चा) दरवाजे की ओर देखता रहता है। बाहर होने वाली हर हलचल पर वह दौड़ पड़ता है। उसे लगता है कि कोई आ रहा है। आप उसकी आंखों में देख सकते हैं। उसे एहसास हो रहा है कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन वह नहीं जानता कि क्या गलत हुआ है।”

अमर चांदनी चौक के भागीरथ पैलेस में दवा का कारोबार करते थे। वह सोमवार देर शाम काम निपटाकर घर के लिए निकले थे, तभी लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार विस्फोट की चपेट में आ गए।

सेठी के मुताबिक, अमर ने चार साल पहले कृति से शादी की थी और दोनों तीन साल पहले माता-पिता बने थे। उन्होंने कहा कि वे अपनी छोटी-सी दुनिया में बहुत खुश थे, लेकिन सोमवार देर शाम 6:52 बजे उनका हंसता-खेलता संसार उजड़ गया।

सेठी ने वह दुखद मंजर बयां किया, जब अमर का बेटा अपने पिता के शव के पास खड़ा था और जो कुछ घट रहा था, उससे भ्रमित और भयभीत था।

सेठी ने रुंधे गले से कहा, “वह (बच्चा) बार-बार मेरा हाथ खींच रहा था और पूछ रहा था, ‘पापा ज़मीन पर क्यों सो रहे हैं?’ मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था। मैं रो रहा था, चीख रहा था।”

उन्होंने सवाल किया, “हम उस बच्चे को क्या जवाब दें, जो अब भी यही सोचता है कि उसके पापा बस सो रहे हैं?”

सेठी ने अमर की पत्नी कृति के बारे में बताया कि वह अपने पति की मौत की खबर सुनने के बाद से सदमे में हैं। उन्होंने कहा, “कृति बस एक जगह बैठी रहती हैं। वह सदमे में हैं और कुछ बोल ही नहीं रही हैं।”

सेठी के अनुसार, “कृति तीन महीने की गर्भवती हैं। वह खुलकर नहीं रोई हैं। वह चुपचाप बैठी हुई हैं।”

सेठी ने बताया कि अमर और कृति ने भविष्य के लिए बड़े-बड़े सपने देखे थे।

उन्होंने कहा, “उनकी शादी को चार साल हो गए थे। वे एक और बच्चे की योजना बना रहे थे। अपनी एक छोटी-सी दुनिया को लेकर सपने संजो रहे थे। सब कुछ ठीक चल रहा था। और अब सब कुछ खत्म हो गया है। कृति की जिंदगी मानो थम-सी गई है।”

सेठी ने कहा कि इस घटना से कटारिया का पूरा परिवार बुरी तरह से टूट गया है, लेकिन विस्फोट के बाद दिल्ली सरकार का एक भी प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया।

उन्होंने कहा, “हमारे इलाके के सांसद दाह संस्कार वाले दिन आए और अगले दिन दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आए। दिल्ली सरकार का एक भी प्रतिनिधि नहीं आया। हम अकेले शोक मना रहे हैं।”

अमर के पिता जगदीश कटारिया ने विस्फोट से पहले के पलों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “अमर हमारा इकलौता बेटा था। उसकी शादी चार साल पहले हुई थी और उसका तीन साल का एक बेटा है। उसने हमें फोन करके बताया था कि वह घर आ रहा है।”

कटारिया के मुताबिक, जब परिवार ने अमर को फोन पर जानना चाहा कि वह कहां पहुंचा है, तो एक अजनबी महिला ने फोन उठाया।

कटारिया के अनुसार, “महिला ने हमें बताया कि उसे अमर का फोन लाल किले के पास से मिला है, जहां एक विस्फोट हुआ है। हमें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि हम क्या करें। हम फौरन घटनास्थल के लिए निकल गए।”

कटारिया ने कहा, “हम घटनास्थल से एलएनजेपी अस्पताल गए, जहां हम पूरी रात अन्य शोकाकुल परिवारों के साथ इंतजार करते रहे। हमें अगले दिन तड़के पांच बजे उसका शव मिला।”

कटारिया ने बताया कि अमर का शव इस कदर झुलस गया था कि उसे पहचानना मुश्किल था और वह अपने बेटे के हाथों पर बने टैटू की मदद से उसकी शिनाख्त कर पाए। इनमें से एक टैटू पर “मां, मेरा पहला प्यार”, दूसरे पर “मेरे पिता मेरी ताकत” और तीसरे पर “कृति” नाम लिखा हुआ था।

भाषा पारुल नरेश

नरेश


लेखक के बारे में