मध्यस्थता करार ‘कंपनी समूह’ अवधारणा के तहत गैर-हस्ताक्षरकर्ता कंपनियों पर बाध्यकारी : न्यायालय

मध्यस्थता करार 'कंपनी समूह' अवधारणा के तहत गैर-हस्ताक्षरकर्ता कंपनियों पर बाध्यकारी : न्यायालय

मध्यस्थता करार ‘कंपनी समूह’ अवधारणा के तहत गैर-हस्ताक्षरकर्ता कंपनियों पर बाध्यकारी : न्यायालय
Modified Date: December 6, 2023 / 04:36 pm IST
Published Date: December 6, 2023 4:36 pm IST

नयी दिल्ली, छह दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में बुधवार को कहा कि मध्यस्थता समझौता ‘‘कंपनी समूह’’ की अवधारणा के तहत हस्ताक्षर न करने वाली अनुषंगी कंपनियों पर बाध्यकारी हो सकता है।

अवधारणा के अनुसार, एक फर्म जिसने दो पक्षों के बीच हुए मध्यस्थता समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये है, लेकिन यदि वह ऐसी कंपनियों के उसी समूह का हिस्सा है तो उसे इस तरह समझौते के लिए बाध्य ठहराया जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने मध्यस्थता समझौते से उत्पन्न विवाद में ‘कॉक्स एंड किंग्स लिमिटेड’ द्वारा दायर याचिका पर अपने फैसले में यह व्यवस्था दी।

 ⁠

पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘कई पक्षों और कई समझौतों से जुड़े जटिल लेन-देन के संदर्भ में पक्षों के इरादे को निर्धारित करने में इसकी उपयोगिता पर विचार करते हुए ‘‘कंपनियों के समूह’’ की अवधारणा को भारतीय मध्यस्थता न्यायशास्त्र में बनाए रखा जाना चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश के अलावा, न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा उस पीठ का हिस्सा थे जिसने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया।

इसने कहा कि लिखित मध्यस्थता समझौते की आवश्यकता का मतलब यह नहीं है कि वे इसके लिए बाध्य नहीं होंगे, जिन्होंने हस्ताक्षर नहीं किये हैं।

प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने इस मामले में सहमति वाला फैसला लिखा।

विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा है।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह कहते हुए मामले को एक वृहद पीठ के पास भेज दिया था कि ‘कंपनी समूह’ सिद्धांत के कुछ पहलुओं पर पुनर्विचार की जरूरत है।

भाषा देवेंद्र अजय

अजय


लेखक के बारे में