अरुणाचल सरकार मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों को दिए गए ठेकों पर हलफनामा दायर करे: न्यायालय

अरुणाचल सरकार मुख्यमंत्री के परिवार के सदस्यों को दिए गए ठेकों पर हलफनामा दायर करे: न्यायालय

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  • Publish Date - December 2, 2025 / 08:52 PM IST,
    Updated On - December 2, 2025 / 08:52 PM IST

नयी दिल्ली, दो दिसंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश सरकार को एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें राज्य में 2015 से 2025 तक मुख्यमंत्री पेमा खांडू के परिवार के सदस्यों के मालिकाना हक वाली कंपनियों सहित अन्य को दिए गए ठेकों का ब्योरा शामिल हो।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आंकड़े “बहुत कुछ बयां कर रहे हैं।” न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेगी कि मामले में किसी जांच की जरूरत है या नहीं।

पीठ ने गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘सेव मोन रीजन फेडरेशन’ और ‘वॉलंटरी अरुणाचल सेना’ की ओर से दायर उस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश में खांडू के परिवार के सदस्यों के मालिकाना हक वाली कंपनियों को सार्वजनिक कार्यों से जुड़े ठेके दिए जाने की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का अनुरोध किया गया है।

उसने कहा, “यह महज संयोग नहीं है।”

पीठ ने कहा कि उसके समक्ष यह आरोप लगाया गया था कि प्रतिस्पर्धी कंपनियों की निविदाओं में अंतर न के बराबर था।

उसने कहा कि अगर अंतर बहुत कम है, तो यह ‘कार्टेलाइजेशन’ को दर्शाता है।

‘कार्टेलाइजेशन’ से आशय एक बाजार प्रथा से है, जिसमें प्रतिस्पर्धी एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा न करने और एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने पर सहमत होते हैं, जिससे अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।

पीठ ने कहा, “अगर ऐसा है तो यह बहुत गंभीर मुद्दा है। आंकड़े बहुत कुछ बयां कर रहे हैं।”

‘सेव मोन रीजन फेडरेशन’ और ‘वॉलंटरी अरुणाचल सेना’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामे के अनुसार, खांडू के परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली कंपनियों को कई ठेके और कार्य आदेश दिए गए थे।

पीठ ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि उनके हलफनामे में केवल तवांग जिले से जुड़े ठेकों का विवरण क्यों दिया गया है?

इस पर राज्य सरकार के वकील ने कहा कि मौजूदा याचिका और उसके बाद शीर्ष अदालत की ओर से पारित आदेश केवल तवांग से जुड़े ठेकों तक सीमित हैं।

पीठ ने कहा, “हमें ऐसा कोई बंधन या सीमा नहीं दिखती कि याचिका केवल तवांग जिले तक सीमित है या इस न्यायालय की ओर से पहले पारित आदेश ने इसे तवांग जिले तक सीमित कर दिया है।”

राज्य सरकार के वकील ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि उन्हें सभी जिलों को शामिल करते हुए एक विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए उचित समय दिया जाए।

भूषण ने कहा कि तवांग के संबंध में भी अद्यतन जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है।

पीठ ने कहा, “प्रतिवादी तवांग सहित सभी जिलों को शामिल करते हुए एक विस्तृत हलफनामा दाखिल कर सकता है। हम यह स्पष्ट करते हैं कि पिछले आदेश के अनुसार आवश्यक विवरण केवल 2015 से 2025 की अवधि तक ही सीमित होंगे।”

पीठ ने राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने के लिए आठ हफ्ते का समय दिया। साथ ही मामले की अगली सुनवाई तीन फरवरी के लिए निर्धारित कर दी।

भाषा

पारुल संतोष

संतोष