असम सरकार ने 1,140 बीघा वन भूमि पर ‘अतिक्रमण’ हटाने के लिए बेदखली अभियान चलाया

असम सरकार ने 1,140 बीघा वन भूमि पर 'अतिक्रमण' हटाने के लिए बेदखली अभियान चलाया

असम सरकार ने 1,140 बीघा वन भूमि पर ‘अतिक्रमण’ हटाने के लिए बेदखली अभियान चलाया
Modified Date: November 9, 2025 / 05:19 pm IST
Published Date: November 9, 2025 5:19 pm IST

गोवालपारा (असम), नौ नवंबर (भाषा) असम सरकार ने रविवार को गोवालपारा जिले में 1,140 बीघा (376 एकड़ से अधिक) वन भूमि पर कथित अतिक्रमण को हटाने के लिए बेदखली अभियान शुरू किया, जिससे लगभग 600 परिवार प्रभावित हुए हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

गोवालपारा जिला आयुक्त (डीसी) प्रदीप तिमुंग के अनुसार, दहिकाटा आरक्षित वन में अतिक्रमित क्षेत्र को खाली कराने का कार्य शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘580 परिवारों ने 1,140 बीघा जमीन पर अतिक्रमण कर रखा था। उन्हें जमीन खाली करने के लिए 15 दिन पहले नोटिस जारी किए गए थे।’

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तिमुंग ने कहा कि नोटिस मिलने के बाद क्षेत्र के लगभग 70 प्रतिशत ‘अवैध निवासी’ पहले ही स्थान छोड़ चुके हैं, जबकि शेष लोग अपने घर खाली कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘हमने बेदखली अभियान के लिए दो दिन तय किए थे, लेकिन प्रशासन को उम्मीद है कि यह अभियान आज ही पूरा हो जाएगा। अब तक हमें किसी तरह के विरोध का सामना नहीं करना पड़ा है। हम अतिक्रमित भूमि पर बचे हुए घरों को गिरा रहे हैं।’

डीसी ने कहा कि जिला प्रशासन ने पर्याप्त सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया था और बेदखली अभियान के दौरान दर्जनों उत्खनन मशीनों के साथ-साथ कई ट्रैक्टरों का भी इस्तेमाल किया गया।

उन्होंने कहा, ‘हमने क्षेत्र को पांच ब्लॉकों में विभाजित किया है और केवल एक ब्लॉक में कुछ लोग अब भी वहां हैं। अन्य ब्लॉकों में 80 प्रतिशत लोग वहां से चले गए हैं।’

तिमुंग ने कहा कि बेदखली अभियान गुवाहाटी उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार चल रहा है तथा इस अभियान के संबंध में तीन याचिकाओं पर पहले ही अदालत सुनवाई कर चुकी है।

एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कथित अतिक्रमणकारी ज्यादातर बंग्ला भाषी मुस्लिम समुदाय से हैं।

प्रभावित लोगों में से एक अब्दुल करीम ने दावा किया कि इस क्षेत्र के लोग कई दशकों से वहां रह रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘अगर हम अतिक्रमणकारी थे, तो सरकार ने हमें बिजली की लाइनें, शौचालय और अन्य सुविधाएं क्यों दीं? हमारे पास आधार कार्ड और ज़मीन के सभी दस्तावेज़ हैं, फिर भी हमारे साथ बाहरी लोगों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।’

विशेष मुख्य सचिव (वन) एम के यादव ने दावा किया कि यह क्षेत्र हाथी गलियारे के अंतर्गत आता है और भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करने से मानव-पशु संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी।

साल 2021 में हिमंत विश्व शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से, उसने भूमि पर कथित अतिक्रमणों को हटाने के लिए कई बेदखली अभियान चलाए हैं, जिससे ज्यादातर बांग्ला भाषी मुस्लिम आबादी प्रभावित हुई है।

असम के मुख्यमंत्री ने तीन नवंबर को जोर देकर कहा कि अतिक्रमण हटाने के लिए बेदखली अभियान जारी रहेगा और उनकी सरकार के तहत ‘अवैध मिया’ चैन से नहीं रह सकते।

‘मिया’ मूलतः असम में बांग्ला भाषी मुसलमानों के लिए प्रयुक्त एक अपमानजनक शब्द है, तथा गैर-बांग्ला भाषी लोग आमतौर पर उन्हें बांग्लादेशी आप्रवासी के रूप में पहचानते हैं।

भाषा नोमान नरेश

नरेश


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