असम: जोगदल हत्याकांड में न्याय के लिए स्थानीय संगठन ने एनएचआरसी के हस्तक्षेप का आग्रह किया
असम: जोगदल हत्याकांड में न्याय के लिए स्थानीय संगठन ने एनएचआरसी के हस्तक्षेप का आग्रह किया
गुवाहाटी, 14 दिसंबर (भाषा) असम के कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले के जोगदल गांव में एक ही परिवार के छह सदस्यों की उनके घर में बेरहमी से हत्या के 16 साल बाद, एक स्थानीय संगठन ने पीड़ितों के लिए न्याय की मांग करते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का रुख किया है।
संगठन ने एनएचआरसी से इस मामले में मानवाधिकार उल्लंघनों का संज्ञान लेने और निष्पक्ष, स्वतंत्र और समयबद्ध जांच सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।
बारह दिसंबर 2009 की रात को अज्ञात हमलावरों ने जोगदल स्थित आवास पर हरकांत डोलोई, उनकी पत्नी स्वप्ना, उनके तीन बच्चों और एक भतीजे की हत्या कर दी थी।
इन हत्याओं का संबंध उन नेताओं से माना जाता है, जिन्होंने इलाके में एक आलीशान होटल बनाने के लिए जमीन हासिल करने को लेकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था। अपराधियों की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है।
दिमोरिया विकास मंच ने एनएचआरसी अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी आर रामा सुब्रमण्यन से इस मामले की जांच करने का आग्रह किया।
शनिवार को याचिका सौंपने वाले मंच के मुख्य सलाहकार दिब्यज्योति मेधी ने कहा, ‘हमने आयोग के एक सदस्य से मुलाकात की और उन्हें अपनी याचिका सौंपी। उन्होंने हमें मामले की जांच करने का आश्वासन दिया है।’
उन्होंने कहा, ‘‘16 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक न्याय नहीं मिला है। लेकिन हमें अब भी उम्मीद है कि एनएचआरसी पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्षम होगा। डोलोई सीमांत किसान थे और उनका परिवार आर्थिक रूप से गरीब था, और उनका किसी भी व्यक्ति या समूह से कोई ज्ञात शत्रुता नहीं थी।”
याचिका में कहा गया, ‘असम सरकार के तत्कालीन मंत्री की संदिग्ध संलिप्तता के कारण जांच को जानबूझकर कमजोर किया गया’। 2009 में असम में कांग्रेस सरकार सत्ता में थी।
इसमें कहा गया है, ‘सोनापुर पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच निष्पक्ष नहीं थी। इसके विपरीत, घटना के बाद पीड़ित के घर को जलाने सहित महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के गंभीर प्रयास किए गए।’
याचिका में कहा गया है कि मुख्य आरोपी अर्जुन बारदोलोई की पांच सितंबर, 2012 को रहस्यमय परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी, जिससे जांच की निष्पक्षता को लेकर और भी चिंताएं बढ़ गईं।
याचिका में कहा गया कि अपराध के साथ-साथ न्याय में बाधा डालने के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को कानून के अनुसार सजा दी जाए।
भाषा आशीष दिलीप
दिलीप

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