बाबा रामदेव ने डॉक्टरों पर दिया विवादित बयान लिया वापस, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पत्र के बाद जताया खेद

बाबा रामदेव ने डॉक्टरों पर दिया विवादित बयान लिया वापस, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पत्र के बाद जताया खेद

बाबा रामदेव ने डॉक्टरों पर दिया विवादित बयान लिया वापस, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पत्र के बाद जताया खेद
Modified Date: November 29, 2022 / 08:11 pm IST
Published Date: May 24, 2021 1:49 am IST

नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव ने डॉक्टरों और एलोपैथी को लेकर दिया अपना विवादित बयान वापस ले लिया है, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन की चिट्ठी के बाद योग गुरु ने यह कदम उठाया है, स्वामी रामदेव ने ट्विटर पर केंद्रीय मंत्री को संबोधित करते हुए कहा, आपका पत्र प्राप्त हुआ, उसके बारे में चिकित्सा पद्धतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना बयान वापस लेता हूं और यह पत्र आपको भेज रहा हूं।

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रामदेव ने पतंजलि योगपीठ के लेटरपैड पर लिखी अपनी सफाई में कहा, हम आधुनिक चिकित्सा पद्धति और एलोपैथी के विरोधी नहीं है, हम मानते हैं कि जीवन रक्षा प्रणाली और सर्जरी के क्षेत्र में एलोपैथी ने बहुत तरक्की की है, यह मानवता की सेवा है। रामदेव ने कहा, उनका जो वीडियो पेश किया गया है वो कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक का है, जिसमें उन्होंने व्हाट्सऐप पर आए एक मैसेज को पढ़कर सुनाया था, लेकिन अगर इससे किसी की भावनाएं आहत हुई हैं तो मुझे खेद है।

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इससे पहले डॉ. हर्षवर्धन ने अपने पत्र में कहा था कि देशवासियों के लिए कोरोना (COVID-19) के खिलाफ़ दिन-रात सेवारत डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्यकर्मी भगवान समान हैं, रामदेव के बयान ने कोरोना योद्धाओं का निरादर कर, देशभर की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है, लिहाजा उन्हें पत्र लिखकर अपना आपत्तिजनक वक्तव्य वापस लेने का अनुरोध किया है, केंद्रीय मंत्री ने पत्र में लिखा, एलोपैथिक (Allopathy) दवाओं औऱ डॉक्टरों पर आपकी टिप्पणी से देशवासी बेहद आहत हैं।

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लोगों की इस भावना से मैं आपको फोन पर पहले भी अवगत करा चुका हूं, संपूर्ण देशवासियों के लिए कोरोना के खिलाफ दिन-रात जंग लड़ रहे डॉक्टर औऱ अन्य स्वास्थ्यकर्मी भगवान हैं, आपके बयान ने न केवल कोरोना योद्धाओं का निरादर किया है, बल्कि देशवासियों की भावनाओं को भी गहरी ठेस पहुंचाई है, कल आपने जो स्पष्टीकरण जारी किया है, वह लोगों की आहत भावनाओं पर मरहम लगाने में नाकाफी है।

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महामारी के इस दौर में एलोपैथी और उससे जुड़े डॉक्टरों ने करोड़ों लोगों को नया जीवनदान दिया है, यह कहना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि लाखों कोरोना मरीजों की मौत एलोपैथी दवा खाने से हुई है, एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को तमाशा, बेकार और दिवालिया बताना भी अफसोसनाक है।


लेखक के बारे में

डॉ.अनिल शुक्ला, 2019 से CG-MP के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल IBC24 के डिजिटल ​डिपार्टमेंट में Senior Associate Producer हैं। 2024 में महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय से Journalism and Mass Communication विषय में Ph.D अवॉर्ड हो चुके हैं। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा से M.Phil और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर से M.sc (EM) में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। जहां प्रावीण्य सूची में प्रथम आने के लिए तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के हाथों गोल्ड मेडल प्राप्त किया। इन्होंने गुरूघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से हिंदी साहित्य में एम.ए किया। इनके अलावा PGDJMC और PGDRD एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स भी किया। डॉ.अनिल शुक्ला ने मीडिया एवं जनसंचार से संबंधित दर्जन भर से अधिक कार्यशाला, सेमीनार, मीडिया संगो​ष्ठी में सहभागिता की। इनके तमाम प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में लेख और शोध पत्र प्रकाशित हैं। डॉ.अनिल शुक्ला को रिपोर्टर, एंकर और कंटेट राइटर के बतौर मीडिया के क्षेत्र में काम करने का 15 वर्ष से अधिक का अनुभव है। इस पर मेल आईडी पर संपर्क करें anilshuklamedia@gmail.com