कर्मचारियों के नियमितीकरण-वेतन पर सामने आया नया अपडेट, हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला, जानें क्या कहा?

Jammu&Kashmir High Court : हाई कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में 17 अक्तूबर 2014 को जारी आदेश के तहत 1284 कैजुअल वर्करों की नर्सिंग अर्दली पद पर नियुक्ति तत्कालीन मंत्रियों और विधायकों की ओर से मनोनयन के आधार पर की गई, जो कि अवैध है।

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  • Publish Date - November 5, 2022 / 09:57 AM IST,
    Updated On - November 29, 2022 / 08:12 PM IST

Jammu Kashmir and Ladakh High Court : जम्मू&कश्मीर — जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने प्रदेश के कर्मचारियों को तगडा झटका दे दिया हैं। हाई कोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अस्थाई कर्मचारियों की याचिका खारिज कर दी गई है। कोर्ट ने कहा है ​कि अस्थाई कर्मचारियों की सेवाओं को समाप्त किए जाने पर नियमितीकरण का दावा नहीं कर सकते है। इन कर्मचारियों की सेवाएं जरूरत पडने पर ली जा सकती है। लेकिन उन्हें स्थाई करने का दबाव उचित नहीं होगा।

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Jammu Kashmir and Ladakh High Court : जस्टिस संजय धर ने यह फैसला शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दे रहे 1284 नर्सिंग अर्दलियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में 17 अक्तूबर 2014 को जारी आदेश के तहत 1284 कैजुअल वर्करों की नर्सिंग अर्दली पद पर नियुक्ति तत्कालीन मंत्रियों और विधायकों की ओर से मनोनयन के आधार पर की गई, जो कि अवैध है।, इन नियुक्तियों के लिए न तो कोई आवेदन लिया गया और न ही किसी तरह की प्रक्रिया पालन की गई।

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Jammu Kashmir and Ladakh High Court : इन कर्मचारियों को वर्ष 2014-15 में कश्मीर में नियुक्त किया गया था और याचिका में उन्होंने मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी गांदरबल को प्रतिवादी बनाया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि प्रतिवादी तिवादी ने उनका वेतन रोक दिया है और उन्हें काम करने से भी रोका जा रहा है। वे अपनी सेवाएं निरंतर देते आ रहे हैं और उनको स्थायी किया जाना उनका अधिकार बनता है। वही प्रतिवादी का कहना है कि सरकार की ओर से उन्हें फंड नहीं मिल रहा है, ऐसे में नियुक्तियों को जारी नहीं रखा जा सकता।

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Jammu Kashmir and Ladakh High Court : कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की स्थायी किए जाने की मांग जायज नहीं है और इससे पिछले दरवाजे से की गई। वही इन नियुक्तियों को खत्म करने या जारी रखने को लेकर कहा कि यह उनके नियुक्तिपत्र को देखकर ही तय किया जा सकता है।कोर्ट ने इस याचिका का कोई आधार न होने पर उसे खारिज कर दिया। कोर्ट के इस फैसले से जम्मू कश्मीर के 60000 से अधिक अस्थायी कर्मी प्रभावित हो सकते हैं।

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